पाताल भुवनेश्वर गुफा के निकट शीतला माता की पौराणिक गुफा में लोक मगंल की कामना के लिए देवी का पाठ समय समय पर आयोजित होता रहता है इस पौराणिक गुफा का महत्व बड़ा ही अद्भुत व निराला है
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार माता शीतला ब्रहमा जी की पुत्री कही जाती है ब्रह्मा जी ने माता शीतला को धरती पर पूजे जाने के लिए भेजा था। देवलोक से धरती पर माँ शीतला अपने साथ भगवान शिव के पसीने से निर्मित ज्वरासुर को अपना सहायक बनाकर लाईं। तत्कालिक राजा विराट ने माता शीतला को अपने राज्य में रहने के लिए स्थान नहीं दिया माता शीतला ने कुपित होकर राजा विराट के समूचे राज्य में हाहाकार मचा दिया था अपनी गलती का एहसास होने पर राजा विराट ने माँ से क्षमा याचना की और उन्हें भूमंडल में अनेक स्थान प्रदान किये उन्हीं प्राचीन स्थानों में माता शीतला का अलौकिक रहस्य वाला स्थान पाताल भुवनेश्वर के निकट है। यह देवी पूजन से प्रसन्न होकर समस्त व्याधियों का नाश करती है लोक मंगल की कामना को लेकर पाताल भुवनेश्वर मंदिर कमेटी के अध्यक्ष नीलम भंडारी यहाँ समय – समय पर पूजा अर्चना करते रहते है उन्होंने बताया कि यहाँ पूजा का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र की सुख समृद्धि एवं मंगल कामना की भावना है