अल्मोड़ा शहरी नगर निगम क्षेत्र में दो जंगली जानवर घुरड़ आबादी क्षेत्र में घूमने से वन्य जीव को खतरा,देखे video

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इन दिनों अल्मोड़ा के शहरी भाग (नगर निगम क्षेत्र) में दो जंगली जानवर घुरड़(हिरन) आबादी क्षेत्र में घूमते नजर आ रहे हैं। लगभग एक साल से जिला कारागार अल्मोड़ा के आस पास ये घुरड़ सुबह शाम,दिन रात को घूम रहे हैं और अब ये हमारे घर आस पास मोहल्ला झिझाड़ , बीएसएनएल टेलीफोन एक्सचेंज के समीप और चर्च में घूम रहे हैं और हमारे खेतों से घूमते घूमते हमारे घर के दरवाजे के पास और सड़क पर भी आ जा रहे हैं , जिस से इनके खुद के और हमारी भी जान मॉल।का खतरा बना हुआ है।

इस मामले की सूचना सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे और उनके मित्र सामाजिक कार्यकर्ता आशीष जोशी द्वारा करीब एक हफ्ते पहले वन विभाग को मौखिक रूप से अवगत करा दिए जाने पर उनसे सबूत मांगा गया और उनकी बात को ये कह कर खारिज कर दिया गया कि, आपने कुछ और देखा होगा, ये जंगली जानवर आबादी क्षेत्र में नहीं आते। अब आज ही हमने वन विभाग के अधिकारियों को वीडियो बना कर भेजी है जिसमें जानवर साफ साफ दिख रहा है और हमारे द्वारा उनसे कार्यवाही करने को बोला गया है।

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किंतु जब हमारी बात विभाग से हुई उनका रवैया बहुत ही निराशाजनक प्रतीत हुआ, और उल्टा हमसे ही उल जलूल सवाल करने लग गए कि , जिला वन अधिकारी जी का कहना है, कि “यहां नहीं घूमेंगे तो कहां घूमेंगे? क्या आप पशु प्रेमी नहीं हैं? आप क्या चाहते हैं कि हम उनको मार दें?” एक विभागीय और जिम्मेदार अधिकारी का ऐसा कहना कहां तक उचित है ? क्या सरकारी विभाग और अधिकारी ऐसे काम करते है और जनता से ,जो की एक सामाजिक कार्य कर रहे हैं उनसे ऐसे बात करते हैं क्या? अपनी जिम्मेदारी से ऐसे मुंह मोड़ना कहां तक उचित हैं? वन क्षेत्र अधिकारी हम से पूछ रहे हैं कि क्या आपको जानवर अभी भी दिख रहे हैं क्या? हम जब आते हैं तो हमें तो नहीं दिखते। अब जंगली जानवर क्या किसी का इंतजार करेंगे क्या ? की जब वन विभाग कर्मी उनको पकड़ने आयेंगे, तो वो खुद उनके पास चल कर आयेंगे?
आप से अनुरोध है कि इस विषय पर त्वरित कार्यवाही कर इन मासूम जानवरों को इस इलाके से रेस्क्यू कर, उचित जगह पर छोड़ दिया जाए, (बन विभाग नियमानुसार)। आप से अनुरोध है कि इन मासूम जंगली जानवरों के साथ किसी अनहोनी घटना से इनकी रक्षा की जाए और हमें भी इनकी मौजूदगी से होने वाले भय से निजाद मिले। इससे पहले भी सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे द्वारा बंदरों से निजात पाने के लिए, देहरादून सहित अल्मोड़ा के अधिकारियों के समक्ष, एक लिखित शिकायत मुख्यमंत्री हेल्प लाइन मैं दर्ज करवाई गई थी। उस समय भी आपको वन विभाग द्वारा साक्ष्य मांगे गए थे, इसके फोटो वीडियो भी विभाग को सौंपे थे जिसके परिणाम स्वरूप शहर मैं बंदरों को पकड़ने के लिए पिंजरे लगवाए गए थे, जो कि केवल कागजों मैं ही दिखाई दिए, धरातल पर कोई काम नहीं हुआ।
उन्होंने कहा, बार बार विभागीय अधिकारी साक्ष्य मांगते है ,जो कि उपलब्ध करवाने के बाबजूद भी विभाग द्वारा कोई भी कारवाही नहीं की गई और विभाग मात्र खानापूर्ति तक ही सीमित रहा। अवगत करा दें कि, शहर मैं जहां जहां भी पिंजरे लगे, वो केवल 1 से 2 घंटों के लिए ही पिंजरा लगाकर अपने कर्तव्यों से ’इति श्री’ कर ली गई। जब कि यदि इसकी गहराई से जांच करवाई जाय तो कई और घोटाले सामने आयेगे। उन्होंने शासन से पारदर्शिता के साथ इस घटना की उच्च स्तरीय जांच कराने के साथ साथ उच्चाधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच करने की मांग की है। इन्होंने बताया कि शीघ्र ही केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय मैं भी इस प्रकरण पर लिखित शिकायत दर्ज करवाई जायेगी।

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