भारत के स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष कई मामलों में विशेष-मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राघवेंद्र सिंह चौहान

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माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड के माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राघवेंद्र सिंह चौहान ने कहा है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष कई मामलों में विशेष है, क्योंकि लगभग 200 वर्षों तक चले इस संग्राम में आम और खास , हर तरह के लोगों ने उपनिवेशवाद और शोषण के विरुद्ध संघर्ष किया और विभिन्न दौर से गुजरे इस लंबे संघर्ष के कई महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में आम जनता के बीच और अधिक जानकारी के आवश्यकता है।

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो, नैनीताल द्वारा कल शनिवार 18 सितंबर के शाम भवाली स्थित उत्तराखंड न्यायिक एवं विधिक अकादमी, ‘उजाला’, में आयोजित स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वें वर्षगांठ के संदर्भ में आयोजित “अमृत महोत्सव” कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए यह बात कही।

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उन्होंने कर्नाटक की रानी चिनप्पा समेत कई महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र किया जिनके त्याग और संघर्ष बारे में लोगों को कम जानकारी है और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसे अधिक ज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों के भी त्याग और बलिदान के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में लोगों को और अधिक जानने की आवश्यकता है । उन्होंने लोगों से घृणा, हिंसा, द्वेष जैसे विभाजन करने वाले प्रवृत्तियों से खुद को मुक्त रहने की आवश्यकता पर भी बल दिया और इसमें न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका की चर्चा की।

कार्यक्रम में माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड के माननीय न्यायधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने बतौर अतिथि वक्ता के रूप में बोलते हुए लोगों से संवैधानिक मूल्यों के महत्व को अधिक स्पष्टता से समझने की आवश्यकता पर बल दिया।

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इससे पूर्व अतिथियों के स्वागत और कार्यक्रम के विषय प्रवेश पर बोलते हुए भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी राजेश सिन्हा ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम उन्ही सनातन भारतीयों मूल्यों पर टिका रहा जिसमें सत्य और न्याय को सबसे ऊंचा माना गया है और इसी कारण महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ,अरविंदो घोष और वीर सावरकर जैसे तमाम तरह के स्वतंत्र सेनानी सेनानियों ने अपने व्यक्तिगत जीवन की आहुति देकर भारत की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था।

कार्यक्रम में अकादमी के प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारी संतोष पश्चिमी ने स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न कानून विदों के योगदान की विस्तार से चर्चा करते हुए उनके मूल्यों के संरक्षण की बात कही।

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कार्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम पर एक लघु प्रश्नोत्तरी कोई का भी आयोजन किया गया है जिसमें प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारी व अन्य लोगों ने हिस्सा लिया और विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया ।

अपने धन्यवाद ज्ञापन में विभाग के अधिकारी राजेश सिन्हा ने मुख्य अतिथि रूप में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राघवेंद्र सिंह चौहान तथा अन्य माननीय न्यायाधीशों का उनके आगमन और समय देने के लिए व उत्तराखंड न्यायिक एवं विधिक अकादमी, ‘उजाला’, के निदेशक व अन्य अधिकारियों तथा माननीय उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार व अन्य न्यायिक अधिकारियों को इस कार्यक्रम को सफल बनाने में उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

कार्यक्रम में विभाग के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया

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