दरोगा भर्ती धांधली में विजिलेंस की रिपोर्ट पर प्रदेश के 20 दरोगाओं को निलंबित कर दिया गया है। ये दरोगा जांच पूरी होने तक निलंबित ही रहेंगे। प्रथम दृष्टया जांच में इन दरोगाओं के नकल करने की बात सामने आई है। हालांकि मुकदमे में अभी किसी भी दरोगा को नामजद नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि यह फेहरिस्त अभी और भी लंबी हो सकती है।
वर्ष 2015-16 में कांग्रेस की तत्कालीन कांग्रेस सरकार में दारोगा के 339 पदों पर सीधी भर्ती की परीक्षा गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर ने कराई थी। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर 20 दारोगा निलंबित यह गए हैं विजिलेंस ने 3 महीनों की कड़ी मेहनत के बाद जांच पड़ताल में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा, स्वजन, करीबी मित्र समेत आर्थिक स्थिति की बारीकी से पड़ताल की गई। सूत्रों की मानें तो भले प्रारंभिक चरण में 20 दारोगा पर गाज गिरी हो, लेकिन अभी कुछ और दारोगा भी रडार पर हैं। इनके निलंबन की कार्रवाई भी जल्द हो सकती है।
भर्ती घोटाले की जांच के दौरान विजिलेंस की टीमों ने संदिग्ध दारोगा के जन्मस्थल से लेकर उनके शैक्षिक संस्थानों तक का पूरा ब्योरा जुटाया। वह किस स्कूल में पढ़ा, किस कोचिंग सेंटर से कोचिंग ली, गांव व मोहल्ले में उसका आचरण, वह पढ़ाई में कैसा था, इन सभी बिंदुओं की जांच की गई।
विजिलेंस को संदेह था कि यदि अभ्यर्थी ने मोटी रकम देकर परीक्षा पास की है तो रुपयों का इंतजाम कहीं न कहीं से किया गया होगा। विजिलेंस ने जमीनों तक की जानकारी जुटाई कि कहीं भर्ती के दौरान किसी ने जमीन या मकान आदि बेचकर तो रकम नहीं जुटाई।
भर्ती पर सवाल उठने के बाद पुलिस विभाग की ओर से जब कुछ चयनित दारोगा की गोपनीय जांच कराई गई तो पता चला कि 15 प्रतिशत दारोगा ऐसे हैं, जो केस डायरी तक लिखना नहीं जानते।
पुलिस मुख्यालय की ओर से निलंबित किए गए 20 दारोगा में से अधिकतर के पास चौकी इंचार्ज की जिम्मेदारी है। देहरादून जिले में ही निलंबित हुए पांच दारोगा में से तीन चौकी इंचार्ज थे।