पहाड़ पर गाड़ी चलाना एक चुनौती से कम नहीं होता। साल 2022 में हुए सड़क हादसों के आंकड़ों ने एक बार फिर से हर किसी की आंखें खोली हैं। परिवहन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के लिहाज से पिछले सात साल में 2022 सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हुआ है। बता दें कि 2021 के मुकाबले 2022 में 19 फीसदी ज्यादा हादसे हुए।
इसमें कोई दोराय नहीं कि पहाड़ी जनपदों में होने वाले सड़क हादसों की कड़ी में अत्याधिक वृद्धि हुई है। जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, शासन-सरकार अपने स्तर से हर कोई कोशिशें कर रहा है कि हादसों पर अंकुश लगाया जा सके। मगर इसका नतीजा रिपोर्ट्स में नहीं दिखता। गौरतलब है कि 2021 में प्रदेशभर में 1405 हादसे हुए थे।
ये संख्या साल 2022 में 19.15 प्रतिशत बढ़कर 1674 पहुंच गई है…और तो और साल 2021 में प्रदेश में हुए हादसों में 820 लोगों ने जान गंवाई थी। इनकी संख्या 27 फीसदी बढ़कर 2022 में बढ़कर 1042 हो गई है। पर्वतीय जिलों पर गौर करें तो साल 2021 के मुकाबले 2022 के हादसों में टिहरी में 25, चंपावत में 127, उत्तरकाशी में 47, पिथौरागढ़ में 33, चमोली में 200, रुद्रप्रयाग में 22 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में 1591 हादसे हुए थे और 962 लोगों की जान गई थी। 2017 में 1603 हादसों में 942 लोग तो वहीं 2018 में 1468 हादसों में 1047 लोगों ने जान गवाई थी। साल 2019 में 1353 हादसे हुए और 886 लोगों की मौत हुई जबकि 2020 में 1041 हादसों में 674 लोगों का निधन हो गया। साल 2021 में 1405 हादसे हुए थे तो वहीं 2022 में ये आंकड़े बढ़कर 1674 तक पहुंच गया। मौत की बात करें तो 2021 में 820 लोगों तो वहीं 2022 में 1042 लोगों की जान गई।
इस रिपोर्ट के बाद अब राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने एसओपी बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। एनडीएमए का भी मानना है कि पर्वतीय मार्गों पर वाहन संचालन काफी चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। इसलिए हिमालयी राज्यों में वाहन संचालन के लिए एनडीएमए एसओपी तैयार कर रहा है। इसी क्रम में मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू को अब तक हुए सड़क हादसों, उनकी इंक्वायरी रिपोर्ट और हादसों के कारण व निवारण के सुझाव दिए जाने हेतु पत्र लिखा गया है