विजयादशमी के पावन पर्व पर पुष्पम समर्पयामि मुहिम के अंतर्गत तीन मूर्ति स्थित श्री राम जानकी मंदिर में मांगलिक कार्यों हेतु पान, तुलसी आदि के पौधे समर्पित किए गए। मुहिम के संचालक पूर्व प्राध्यापक डॉ संतोष मिश्र ने बताया कि पेड़ पौधे हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं। इनके बिना हमारा जीवन अधूरा है। पेड़ पौधे न सिर्फ हमें ऑक्सीजन देते हैं बल्कि इनसे वातावरण भी हरा-भरा रहता है, इन्हीं पेड़ पौधों में से कुछ पौधे मांगलिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण हैं। प्राचीन काल से इन्हें सुरक्षित और संरक्षित रखना हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है। प्रत्येक शुभ और मांगलिक अवसरों में तुलसी और पान के पत्तों का उपयोग हमेशा से होता रहा है।
डॉ संतोष मिश्र ने प्रकृति के पुजारियों से आग्रह किया कि प्रत्येक धार्मिक स्थल, शादी विवाह के मंडप, पूजा-पाठ स्थल, बेंकट हॉल आदि में तुलसी और पान के पौधे अवश्य लगाएं ताकि मांगलिक कार्यों हेतु सहजता से तुलसी और पान के पत्ते सबको उपलब्ध रहें।
मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य योगेश चंद्र जोशी ने मुहिम को सार्थक बताते हुए कहा कि दशहरे के दिन प्रभु श्री राम को तुलसी का पौधा अर्पित करना बहुत शुभ है क्योंकि विष्णु को तुलसी का पत्ता विशेष प्रिय है। भारतीय संस्कृति के अनुसार भगवान के भोग में तुलसी का होना अनिवार्य है वरना भगवान भोग को स्वीकार नहीं करते।
पुजारी भुवन चंद्र जोशी ने डॉक्टर मिश्र की पहल में सबके सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि पूजा पाठ से लेकर किसी भी शुभ एवं मांगलिक कार्य में पान के पत्ते का प्रयोग अवश्य होता है। पान या तांबूल हवन पूजा की एक विशेष सामग्री है। मान्यताओं के अनुसार पान के पत्ते में विभिन्न देवी, देवताओं का वास होता है।
इस अवसर पर गीता मिश्रा, मुकेश, डीके तिवारी, डालचंद माली, नितिन आदि मौजूद रहे।