

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक निजी स्कूल द्वारा बड़ी संख्या में कक्षा 11 के छात्रों को फेल करने के मामले में सख्त रुख अपनाया है. आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने स्कूल को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी अनुत्तीर्ण छात्रों को तुरंत प्रभाव से कक्षा 12 में प्रमोट किया जाए.
अभिभावकों ने लगाए शिक्षकों पर गंभीर आरोप
आयोग ने घटनाक्रम को गंभीरता से लेते हुए कहा कि छात्रों की शैक्षणिक क्षमता और मानसिक स्थिति की जांच आयोग की निगरानी में की जाएगी. यदि कोई छात्र इस मूल्यांकन में अयोग्य पाया जाता है तो उस पर विचार के बाद निर्णय लिया जाएगा. अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि स्कूल ने बच्चों की कमजोर पढ़ाई के कारणों को समझा नहीं गया. न ही मानसिक और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के लिए कोई काउंसलर नियुक्त किया. साथ ही स्कूल के कुछ शिक्षकों पर निजी ट्यूशन देने के भी आरोप लगे हैं, जिसमें एक शिक्षक को पहले हटाया जा चुका है.
बाल आयोग ने दिए जांच के निर्देश
बाल आयोग के सामने इसी दौरान एक और मामला आया, जिसमें एक संस्था द्वारा निशुल्क शिक्षा दे रहे एक छात्र की छात्रवृत्ति परिवार के व्यवहार को आधार बनाकर बंद करने की बात कही गई. बाल आयोग ने इस प्रकरण की भी निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए हैं. वहीं विकासनगर क्षेत्र में एक नाबालिग बच्ची के साथ मारपीट की शिकायत पर आयोग ने पुलिस विभाग से रिपोर्ट तलब की है. बाल आयोग ने कहा है कि बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा से किसी भी हाल में समझौता नहीं किया जाएगा