राज्य मे सतत विकास लक्ष्यो का नियोजन, क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण गत वर्षो से निरंतर चल रहा-डा0 पंत

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सत्त विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण विषय पर एक दिवसीय जनपद स्तरीय कार्यशाला का अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा0 मनोज कुमार पंत एवं उप निदेशक अर्थसंख्या राजेन्द्र तिवारी, जिला अर्थसंख्याधिकारी ललित मोहन जोशी द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का शुभारम्भ ईटीसी बागजाला गौलापार में किया गया।
अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा0 मनोज कुमार पंत ने कार्यशाला मे पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से एसडीजी कार्ययोजना पर विस्तृत रूप से बताया। डा0 पंत ने कहा राज्य मे सतत विकास लक्ष्यो का नियोजन, क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण गत वर्षो से निरंतर चल रहा है तथा नीति आयोग भारत सरकार द्वारा गत 3 वर्षो से अखिल भारतीय स्तर पर सतत विकास लक्ष्य इंडैक्स भी तैयार किये जा रहे है। डा0 पंत ने बताया कि नीति आयोग भारत सरकार द्वारा तैयार एसडीजी इंडैक्स के आधार पर प्रदेश को वर्ष 2020 मे तीसरा स्थान प्राप्त हुआ था। उन्होने बताया राज्य ने लक्ष्य 7 (किफायती एवं स्वच्छ ऊर्जा) तथा लक्ष्य 16 (शांति न्याय एवं मजबूत संस्थान) मे प्रथम स्थान प्राप्त किया।
डा0 पंत ने कहा हमें प्लानिंग लोकल लेबल पर करनी होगी तथा कार्यो की मानिटरिंग भी अति आवश्यक है। ग्राम पंचायत स्तर पर हमें नियोजित सतत विकास कैसे करना है उसके बारे मे सभी विभाग अपने विचारों के साथ समस्या व समाधान कैसे हो कार्यशाला मे रखें ताकि सामुहिक विचार कर निदान किया जा सके। उन्होने कहा उत्तराखण्ड विजन 2030 डाक्यूमेंट 17 सतत विकास लक्ष्यों के 169 उपलक्ष्यों के अनुरूप तैयार किया गया है। उन्होने कहा सैक्टरवार योजना तैयार करने से सुगमता मिलेगी वही विकास कार्यो का प्रभावी अनुश्रवण हो सकेगा। कार्यशाला में विभागवार गु्रप बनाकर कार्यसत्त विकास लक्ष्य हेतु नियोजन के लिए उपयोगी किस प्रकार होगा तथा सत्त विकास के लक्ष्य के योगदान पर विस्तृत चर्चा की गई।
कार्यशाला अवगत कराया कि अब केवल आर्थिक वृद्धि पर फोकस करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि निष्पक्ष और अधिक समतामूलक समाजों तथा अधिक संरक्षित एवं अधिक संपन्न पृथ्वी पर फोकस करना होगा। इसमें माना गया है कि शांति, न्याय, पर्यावरण संरक्षण और औद्योगिक विकास के कार्य एक-दूसरे से अलग नहीं है बल्कि उसी परिवर्तन के अंग हैं। इसमें सबसे अधिक मान्यता इस बात की है कि वैश्विक और परस्पर जुड़ी चुनौतियों से लड़ने के लिए केवल वैश्विक और परस्पर जुड़े समाधानों की ही आवश्यकता है। यह एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसके लिए सरकारों, कारोबार जगत, प्रबुद्ध समाज और व्यक्तियों के बीच नए सिरे से वैश्विक साझेदारी की आवश्यकता है। विकास को अपने सभी आयामों में सभी के लिए, हर जगह समावेशी होना चाहिए और उसका निर्माण हर किसी की, विशेषकर सबसे लाचार और हाशिए पर जीते लोगों की भागीदारी से होना चाहिए। कार्यशाला मे सतत विकास लक्ष्यों के पोस्टर भी प्रदर्शित किये गये।
प्रशिक्षण के द्वितीय सत्र मे सत्त विकास लक्ष्यों के वार्षिक तथा त्रैवार्षिक कार्ययोजना के निर्माण हेतु 4 कार्य दलों का गठन किया गया। जिसमें सत्त आजीविका कार्यदल हेतु जिला विकास अधिकारी रमा गोस्वामी को गु्रप लीडर बनाया गया। इसी तरह मानव विकास कार्यदल हेतु अपर मुख्य चिकित्याधिकारी डा0 रश्मि पंत को ग्रुप लीडर, सामाजिक विकास कार्यदल हेतु प्रोवेशन अधिकारी व्योमा जैन तथा पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन कार्य हेतु अपर जिला पंचायत राज अधिकारी दिनेश चन्द्र जोशी को गु्रप लीडर बनाया गया है। जिसमें सत्त विकास लक्ष्यों, स्थानीय मुद्दे स्थानीय मुद्दे, चुनौतियों का चिन्हिीकरण तथा चुनौतियों के समाधान हेतु रणनीति, निदान आदि पर विचार विमर्श किया गया।
कार्यशाला में नियोजन के उत्तराखण्ड के मास्टर ट्रेनर जेसी चंदोला, सुश्री शारोन जैकब, परियोजना निदेशक अजय सिह, जिला विकास अधिकारी रमा गोस्वामी, जिला कार्यक्रम अधिकारी अनुलेखा बिष्ट, प्रोवेशन अधिकारी व्योमा जैन,एपीडी संगीता आर्य,बीडीओ धारी श्याम सिह नेगी, रामगढ किरन पाण्डे, एडी डेयरी डीपी सिह,एई केसी रजवार के अलावा जनपद स्तरीय अधिकारी मौजूद थे।

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