निजी स्कूल बसें नियमों की उड़ा रही है धज्जियां,पढ़े खबर

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बच्चों को लेकर किसी तरह की लापरवाही बरतना खतरनाक साबित हो सकता है। अगर आप भी अपने जिगर के टुकड़े को स्कूल बस से स्कूल भेजते हैं तो यह जानकारी आपके लिए जरूरी है।


हल्द्वानी में निजी स्कूलों के बस और वैन द्वारा परिवहन नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। अभिभावकों से मोटी फीस वसूलने के बावजूद निजी स्कूल अपने वाहनों की व्यवस्था दुरुस्त करने में नाकाम है यही वजह है कि, निजी स्कूलों के वाहनों के खिलाफ परिवहन विभाग ने अभियान शुरू कर दिया है। परिवहन विभाग ने 2 दिन में शहर में अलग-अलग टीमें बनाकर प्राइवेट स्कूलों के छोटे-बड़े 56 वाहनों का चालान किया है। साथ ही 6 वाहनों को सीज किया गया है।

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अभियान के दूसरे दिन आरटीओ रश्मि भट्ट की अगुवाई में जांच टीम ने कई स्कूलों के वाहनों की फिटनेस पोलूशन और परमिट की जांच की हल्द्वानी ही नहीं पिछले 3 दिनों में 3 जिलों में 140 स्कूली वाहनों के चालान हुए हैं। जिसमें नैनीताल, उधम सिंह नगर में 82 और चंपावत में 7 वाहनों के चालान किए गए हैं । अधिकारियों के मुताबिक और यह अभियान लगातार जारी रहेगा।

स्कूल बस में इन नियमों का पालन होना अनिवार्य


स्कूल बस में इन नियमों का पालन होना अनिवार्य सबसे पहली बात स्कूल बस का रंग पीला होना चाहिए, जिससे दूसरे वाहन चालकों को स्कूल बस की जानकारी होती है। स्कूल बस की स्पीड 50 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। स्कूल बस में जीपीएस सिस्टम होना जरूरी है, ताकि अभिभावकों को बच्चों की लोकेशन की पूरी और सही जानकारी हर मिनट मिल सके। स्कूल बस में लगा स्पीड मीटर हर छह महीने में अपडेट होना चाहिए, इसी के साथ स्कूल बस का परमिट होना अनिवार्य है।

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बस में ड्राइवर के साथ कंडक्टर और एक महिला अटेंडड होनी अनिवार्य है, जो कि बच्चों स्कूल बस में चढ़ाएगी और उतारेगी भी। इसके साथ बस में बच्चों की देखभाल भी करेगी। स्कूल बस की खिड़कियों पर 3 सेफ्टी ग्रिल लगी होनी चाहिए और उन ग्रिल की आपस की दूरी पांच से सात इंच होनी चाहिए है।

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बस ड्राइवर के पास फिटनेस सर्टिफिकेट होना चाहिए जिसमें आंखों की फिटनेस अति अनिवार्य है। फिटनेस सर्टिफिकेट एक वर्ष से पुराना नहीं होना चाहिए। ड्राइवर सीट के साथ बाएं तरफ शीशा लगा होने जरूरी है। ताकि चालक बस के साथ बस के पीछे पांच मीटर की दूरी तक आते हुए वाहन देख सके।

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