25 फरवरी से 1 मार्च तक आयोजित शिवरात्रि महोत्सव में मंदिर के दर्शनों को उमड़ेगे हजारों श्रद्धालु
यूं तो उत्तराखंड में जितने कंकर उतने शंकर वाली कहावत है यानि कि उत्तराखंड का चप्पा चप्पा देवालयों से गुंजायमान है इसीलिए जगतगुरु शंकराचार्य ने उत्तराखंड की भूमि को देवभूमि के उपमा से अलंकृत किया है जहां ईश्वर की आस्था न्याय शीलता और सम दर्शिता के अनेक प्राचीन एवं पौराणिक ऐतिहासिक देवालय हैं ऐसे ही एक प्राचीन देवालय में स्थित है श्री हंस प्रेम योग आश्रम संजय नगर बिंदुखत्ता स्थित बिंदेश्वर महादेव मंदिर इस मंदिर की स्थापना करीब छह दशक पूर्व योगी राज हंस जी महाराज के परम शिष्य महात्मा परमानंद ने की और उन्होंने इस बियाबान जंगल में इस मंदिर की स्थापना करने के बाद इसे अपनी तपोस्थली बनाया और यहां से प्राप्त ज्ञान को उन्होंने उत्तराखंड के अलावा तमाम स्थानों पर पहुंचाया जानकार लोग बताते हैं कि महात्मा परमानंद जी द्वारा इस मंदिर की स्थापना से पूर्व उन्हें स्वप्न में एक अलौकिक आभा के दर्शन हुए जिसके तहत इस स्थान पर एक कुदरती शिवलिंग होने की बात सामने आई महात्मा परमानंद जी ने उसे ईश्वरीय आदेश समझकर उक्त स्थान पर बिंदेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण किया और देखते ही देखते इसकी ख्याति कुमाऊं अंचल के अलावा उत्तराखंड समेत देश के अन्य राज्य में भी फैल गई और प्रत्येक वर्ष होने वाले महाशिवरात्रि महोत्सव में उत्तराखंड के अलावा अन्य प्रांत के लोग भी यहां पर आकर बड़े ही श्रद्धा से शीश नवाते हैं और अपना अभीष्ट प्राप्त करते हैं मान्यता है कि इस दरबार में आकर सच्चे मन से की गई आराधना कभी निष्फल नहीं जाती और व्यक्ति को वह सब कुछ प्राप्त होता है जो उसके जीवन के लिए जरूरी है वर्तमान समय में आश्रम के व्यवस्थापक महात्मा सत्यबोधानंद जी कहते हैं कि यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है और यह क्षेत्र की आस्था का भी प्रमुख केंद्र है शिवरात्रि के अलावा भी अन्य समय में भी भक्तजन यहां आते रहते हैं और भगवान शिव की आराधना कर अपना मंगल एवं यश प्राप्त करते हैं उन्होंने कहा कि मंदिर के सौंदर्यीकरण एवं जीर्णोद्धार का भी लक्ष्य रखा गया है और अगले शिवरात्रि महोत्सव तक मंदिर का जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण कर दिया जाएगा उन्होंने क्षेत्रवासियों से अपील कर कहा कि जो भी श्रद्धालु मंदिर का सुंदरीकरण एवं जीर्णोद्धार में अपनी सेवा देना चाहते हैं वे श्री हंस प्रेम आश्रम संजय नगर में संपर्क कर सकते हैं इधर 25 फरवरी से 1 मार्च तक होने वाले पांच दिवसीय शिवरात्रि महोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं महात्मा सत्यबोधा नंद जी ने बताया कि 25 फरवरी को सुबह कलश यात्रा के साथ महोत्सव का विधिवत शुभारंभ कर दिया जाएगा 25 से 28 फरवरी तक दोपहर 1:00 से 4:00 तक कथा का श्रवण कराया जाएगा तत्पश्चात 1 मार्च को सुबह 9:00 बजे से कथा तथा 1:00 बजे पूर्णाहुति के पश्चात विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा