पाने को ही प्रेम कहे जग की ये है रीत, प्रेम का अर्थ समझाएगी हर्षिका-कान्हा की प्रीत. कहते हैं अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है. पर हल्द्वानी की हर्षिका की कहानी थोड़ी अलग है.
हर्षिका को प्यार भी हुआ तो सृष्टि के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण से. लेकिन आज हर्षिका की 15 साल की तपस्या पूरी हो गई है. गुरुवार सुबह साढे़ दस बजे बैंड-बाजे के साथ हर्षिका की बारात आई, वरमाला और फेरे हुए, लोगों ने शादी की दावत भी खाई और हर्षिका को आर्शीवाद दिया।
बता दें हल्द्वानी के पूरन चंद्र पंत निवासी इंद्रप्रस्थ कॉलोनी की 21 साल की बेटी हर्षिका बचपन से ही दिव्यांग है। युवती के शरीर का निचला हिस्सा काम नहीं करता है. अपने दैनिक कार्यों के लिए भी उसे दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है लेकिन काम उम्र में ही हर्षिता कान्हा को अपना दिल दे बैठी थी.
भगवान श्री कृष्ण को दिल से अपना सब कुछ मान चुकी इस युवती ने आज वृंदावन से लाई गई श्री कृष्ण की प्रतिमा के साथ सात जन्मों तक साथ रहने के वचन लिए और कान्हा के नाम का सिंदूर अपनी मांग में भरा।
बैंड बाजे की धुन और 300 से अधिक बरातियों की उपस्थिति में हर्षिका ने श्रीकृष्ण की मूर्ति से विवाह किया। बता दें हर्षिता की शादी की तैयारियां छह महीने से चल रही थी.
बीते बुधवार को महिलाएं ढोलक की थाप पर मंगल गीत गा रही थीं। इसी बीच हल्दी और मेंहदी की रस्में पूरी की गई। बता दें कि शादी के बाद हर लड़की अपने ससुराल जाती है। लेकिन हर्षिका विदा होकर ससुराल यानी कि वृंदावन नहीं जाएगी।
बल्कि उनके घर वाले भगवान श्री कृष्ण को घर जमाई बनाने जा रहे हैं। हर्षिका की मां मीनाक्षी पंत ने बताया कि बचपन से ही हर्षिका के मन में कान्हा के लिए प्रेमभाव है। अपनी शादी के लिए हर्षिका ने वृंदावन जाकर ही सारी खरीददारी की है