मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाकर विरोध प्रदर्शन करने जा रहे गौला खनन मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष महामंत्री सहित 47 आंदोलनकारियो को पुलिस ने लिया हिरासत में।
मुख्यमंत्री के जाने तक इंटर कालेज में किया नजरबंद।
स्कूल परिसर में आंदोलनकारियों द्वारा सरकार ओर प्रशासन के खिलाफ की गई नारेबाजी और प्रदर्शन से छात्र छात्राओं की पढ़ाई पर पड़ा प्रतिकूल प्रभाव।
कई घंटे रहा अफरातफरी का माहौल।
हल्दूचौड़।
सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के प्रस्तावित हल्द्वानी दौरे के मद्देनजर गौला खनन मजदूर संघर्ष समिति के बैनरतले आंदोलित सैकड़ों खनन ब्यवसाई समिति के अध्यक्ष रमेश जोशी और महामंत्री जीवन कबड़वाल के नेतृत्व में मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाने के लिए निकले थे किंतु मुख्यमंत्री कार्यक्रम स्थल की ओर बढ़ रहे उक्त आंदोलनकारियो को पुलिस ने मोतीनगर चौराहे पर ही रोक कर सभी को गिरफ्तार करते हुए राजकीय इंटर कालेज में लाकर नजरबंद कर दिया गया।
आंदोलनकारियो की मांग थी कि वह पूर्व की भांति गौला समेत अन्य नदियों में खनन कार्य कराए जाने की मांग कर रहे है किंतु सरकार गौला खनन को निजी हाथों में सौपने की कोशिश में लगी हुई है जिसके लिए वह पिछले काफी दिनों से आंदोलनरत हैं।आज इसी परिप्रेक्ष्य में वह मुख्यमंत्री के समक्ष अपना विरोध दर्ज करने जा रहे थे किंतु पुलिस प्रशासन ने उन्हें जबरन हिरासत में लेकर नजरबंद कर दिया आंदोलनकारियो का कहना है कि लोकतंत्र में अपनी बात कहने सबको अधिकार है किंतु वर्तमान सरकार के तानाशाह रवैए के चलते उन्हें अपनी बात कहने से रोके जाने का कार्य किया जा रहा है। लाइफलाइन नदी गोला का हर साल खनन चालू करने से पहले भाजपा सरकार कोई न कोई व्यवधान पैदा करती है हर साल अलग-अलग कानून और नियम बनाकर क्षेत्रीय मोटर वाहन स्वामियों और इससे जुड़े हुए कारोबारी को मानसिक रूप से उत्पीड़न किया जा रहा है एक तरफ सरकार रोजगार के वादे कर के लोगों को बरगला रही है दूसरी ओर सदियों से चला आ रहा रोजगार नए-नए नियम बनाकर स्थानी लोगों को चला जा रहा है आखिर सरकार चाहती क्या है क्यों हर साल गोला नदी पर अलग-अलग नियम थोप कर कौन सा नया रोजगार देने को स्थानीय खनन व्यवसाययों दबाव बना रही है खनन व्यवसाईयों का कहना है जब से बीजेपी सरकार आई है तब से हर साल नए-नए नियम बनाकर हम लोगों की उलझने बड़ा रही है
इधर भारी पुलिस बल के साथ आंदोलनकारियो को लेकर इंटर कालेज पहुंचने पर आंदोलन कारियो की सरकार ओर प्रशासन के खिलाफ की गई जोरदार नारेबाजी से जहां बच्चो की पढ़ाई बाधित हुई वहीं कई घंटे अफरातफरी का माहौल बना रहा। करीब तीन घंटे नजरबंद रखने के बाद पुलिस ने सभी आंदोलनकारियों को निजी मुचलके पर रिहा किया।