लालकुआं-खैर के पेड़ों की तस्करी के मामले ने पकड़ा तूल, “काग्रेंस ने उठाई जांच की मांग

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लालकुआँ।

लालकुआँ विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी की रनसाली रेंज में बीते दिनों वन तस्करों द्वारा काटे गए धड़ल्ले से हरे भरे बेशकीमती खैर,सागौन के पेड़ों का मामला अब तुल पकड़ता दिखाई दे रहा है पुरे मामले पर अब सियासी पारा चढ़ चुका है यहाँ काग्रेंस कार्यकर्ताओं ने वन विभाग पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए पुरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग है साथ ही चेतावनी दी है कि अगर एक सप्ताह के भीतर पुरे मामले की जांच तथा घटना में शामिल तस्करों पर कार्रवाई नहीं कि गई तो काग्रेंस कार्यकर्ता उग्र आंदोलन को बाध्य होगें जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।

बताते चलें कि तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी की रनसाली रेंज के जंगल में बीती 17 जुलाई को वन तस्करों द्वारा खैर,सागौन के बेशकीमती पेड़ों की धुआंधार अवैध कटाई की गई जिसका खुलासा वन गुर्जरों ने रनसाली रेंज के जंगल से काटे हुए खैर के भारी मात्रा में गिल्टों को बरामद कर किया।वही वन गुर्जरों द्वारा बरामद खैर के गिल्टों को रनसाली रेंज की वन विभाग टीम ने जंगल से जप्त कर लिया।जिसके बाद वन गुर्जरों ने वन विभाग पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए मामले की जांच को लेकर लिखित शिकायती पत्र वन विभाग के उच्च अधिकारियों को दिए लेकिन उच्च अधिकारियों के आदेश के बाद भी आज तक मामले का खुलासा नहीं हो सका है। कहें कि वन विभाग पुरे को दबाने की कोशिश कर है।

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वही इस मामले में अब राजनीतिक पारा चढ़ता दिखाई दे रहा है काग्रेंस पार्टी खुलकर वन विभाग पर मिलीभगत का आरोप लगा रही है।

इधर लालकुआँ क्षेत्र के काग्रेंस नेताओं ने सूबे की धामी सरकार को घेरते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार एक ओर जहां पौधारोपण पर जोर दे रही है तो वही दूसरी ओर वन माफिया बेखौफ होकर पेड़ों को काटने में लगे हैं।

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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक पेड़ मां के नाम”के संदेश को दरकिनार कर वन तस्कर वन विभाग की मिलीभगत से जंगलों में घुसकर आसानी से पेड़ों को काटकर लकड़ी की तस्करी करने में जुटे है। इन तस्करों के सामने प्रशासन बौना साबित हो रहा है। तथा लगातार जंगलों से पेड़ों की तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं परन्तु वन विभाग द्वारा वन तस्करों पर किसी भी तरह की कार्रवाई नही हो रही है जो एक चिंता का बिषय है। उन्होंने कहा कि वन विभाग इस अवैध कार्य में तस्करों का खुलकर साथ दे रहा है।

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उन्होंने कहा कि जिस तरह से तराई पूर्वी हल्द्वानी की रनसाली रेंज में खैर के पेड़ों की कटाई की गई है उसमें कही न कही वन विभाग की मिलीभगत सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि घटना के 20 दिन बाद भी वन विभाग कार्रवाई के नाम पर मौन साधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि कहीं ना कहीं वन विभाग पुरे मामले को दबाने में लगा हुआ है। जिसे किसी किमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने रनसाली रेंज में काटे गए खैर के पेड़ों की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है साथ ही चेतावनी भी दी है कि एक सप्ताह के भीतर पुरे मामले की जांच नही हुई तथा घटना में शामिल दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो काग्रेंस कार्यकर्ता उग्र आंदोलन को बाध्य होगें जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी

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