स्कूल की दीवारों पर पड़ गई दरारें, विभाग ने भी लगाया खतरे का लाल निशान, फिर यहीं पढ़ रहे नौनिहाल

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प्रदेश की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की तस्वीरें अक्सर सामने आती रहती हैं। एक बार फिर से ऐसी ही एक तस्वीर सामने आई है। जिसमें प्रदेश के नौनिहाल बदहाल स्कूल में पढ़ने को मजबूर है। ये स्कूल सिर्फ बदहाल अवस्था में नहीं है ब्लकि इस पर विभाग ने लाल खतरे का निशान लगा दिया है।

खतरे का लाल निशान लगने के बाद भी स्कूल में पढ़ रहे नौनिहाल
अल्मोड़ा जिले कि विकासखंड ताड़ीखेत के रधुलीपीपल इंटर कॉलेज बदहाली की मार झेल रहा है। जहां एक ओर स्कूल की दीवारों पर दरारें ही दरारें हैं तो वहीं दूसरी ओर विभाग द्वारा इस स्कूल को खतरे की जद में मानते हुए इस पर लाल निशान भी लगा दिया है। इसके बाद भी इस स्कूल में बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं।

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प्रसिद्ध कैंसर स्पेशलिस्ट पद्मश्री प्रो. एमसी पंत ने यहीं से पढ़ा था
बता दें कि ये वही स्कूल है जहां से प्रसिद्ध कैंसर स्पेशलिस्ट पद्मश्री प्रो. एमसी पंत ने अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की थी। लेकिन आज ये बदहाल अवस्था में है। आलम ये है कि कभी भी स्कूल धराशाई हो सकता है। लेकिन इसके बाद भी शिक्षा विभाग का इस पर ध्यान नहीं गया है। वर्तमान में स्कूल में 75 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। जो कि खतरे के बीच पढ़ने को मजबूर हैं।

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25 गांवों के बच्चे पढ़ने पहुंचते हैं यहां
साल 1960 में इस स्कूल की नींव रखी गई थी। वर्तमान में इंटर कॉलेज रधुलीपीपल में पीपली, अम्याड़ी, कुनकोली, गंगोड़ा, तड़ी ज्यूली, बग्वाली सहित आसपास के 25 गांवों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। विद्यालय भवन के निर्माण के 63 साल बाद भी विद्यालय को नया भवन नहीं मिल पाया है। आज भी बच्चे जर्जर भवन में पढ़ने के लिए मजबूर हैं।

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बीते कुछ सालों में घट गई 85 प्रतिशत छात्रसंख्या
बीते कुछ सालों में जर्जर होने के कारण स्कूल से 85 प्रतिशत छात्रसंख्या कम हो गई है। स्कूल की जर्जर अवस्था के कारण परिजन इस स्कूल में अपने बच्चों को नहीं भेज रहे हैं। बीते 11 सालों में यहां पर छात्र संख्या में 85 प्रतिशत घट गई है। विभागीय आकड़ों के अनुसार साल 2012 में यहां छात्र संख्या 500 थीं। जो कि अब घटकर सिर्फ 75 रह गई है। जबकि यहां सभी शिक्षकों की तैनाती है।

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