बदरीनाथ धाम के कपाट बीते रविवार को सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों और जय बदरी विशाल के उदघोष के साथ विधि-विधान से रात 9 बजकर 7 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं. धाम की यात्रा बंद होने के साथ ही उत्तराखण्ड की इस बार की चार धाम यात्रा भी विधिवत संपन्न हो गई है। मंदिर के कपाट बंद होने के मौके पर करीब 10 हजार श्रद्धालुओं ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए.
विधि-विधान से बंद हुए बद्रीनाथ धाम के कपाट
बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद करने की प्रक्रिया रविवार शाम की आरती के साथ शुरू हुई. मंदिर में कपाट बंद करने की प्रक्रियाओं को परंपराओं के अनुसार पूरा किया. इस दौराम भगवान उद्धव और भगवान कुबेर के चल विग्रह मंदिर के गर्भ गृह से बाहर लाए गए. जिसके बाद रावल अमरनाथ नंबूदरी ने स्त्री रूप धारण कर मां लक्ष्मी को मंदिर गर्भगृह में विराजममान किया और भगवान बदरी विशाल को माणा महिला मंगल दल की ओर से बुना गया घृत कंबल ओढ़ाया. इन सभी प्रक्रियाओं को सम्पन्न करने के बाद रावल अमरनाथ नंबूदरी ने बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए.
15 कुंतल गेंदे के फूलों से सजाया गया था बद्रीनाथ धाम
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के मौके पर मंदिर को 15 कुंतल गेंदे के फूलों से सजाया गया था. देर शाम से मंदिर में कपाट बंद करने की धार्मिक परंपराओं के साथ पूजा-अर्चना की गई, वहीं मंदिर के प्रांगण में स्थानीय लोक कलाकारों और महिला मंगल दल बामणी, पांडुकेश्वर ने लोक नृत्य और जागर की प्रस्तुति दी. धाम में सेना की ओर से श्रद्धालुओं के लिए भंडारों का आयोजन किया था. सवा चौदह लाख से अधिक संख्या में तीर्थयात्रियों ने बदरीनाथ धाम के दर्शन किये हैं.
जोशीमठ में होगी शीतकालीन पूजाएं
बता दें भगवान उद्धव और भगवान कुबेर शीतकाल में पांडुकेश्वर प्रवास करेंगे. 18 नवंबर को पांडुकेश्वर प्रवास के बाद 19 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी रावल धर्माधिकारी वेदपाठी सहित नृसिंह मंदिर जोशीमठ प्रस्थान करेगी. इसके बाद योग बदरी पांडुकेश्वर और नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजायें भी शुरू हो जाएंगी