हल्द्वानी। श्रम कोड जलाओ देशव्यापी प्रदर्शन के तहत ऐक्टू से जुड़े यूनियन के पदाधिकारियों ने बुधवार को बुद्ध पार्क में श्रम कोड की प्रतियां जलाकर रोष प्रकट किया। इस दौरान हुई सभा में ऐक्टू के प्रदेश महामंत्री केके बोरा ने कहा कि किसानों की जमीन छीनकर अंबानी-अडानी सरीखे कारपोरेट घरानों के हवाले करने वाले मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का ऐतिहासिक देशव्यापी आंदोलन जारी है। इस अभूतपूर्व आंदोलन को मजदूरों समेत आम अवाम का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। यह विनाशकारी कृषि कानून न केवल किसानों व किसानी को तबाह कर देंगे बल्कि आम जनता को दाने-दाने का मोहताज बना देंगे। खासकर असंगठित मजदूरों, मजदूरों की आगामी पीढिय़ों और गरीब अवाम को खाद्य सुरक्षा से भी वंचित कर देंगे क्योंकि खाने की वस्तुओं को बाजार और जमाखोरी के हवाले कर दिया जायेगा। कहा कि देश के मजदूरों को बड़े पूंजीपति घरानों, मालिक वर्ग का गुलाम बनाने के लिये मोदी सरकार ने चार श्रम कानून बना दिये हैं। मालिकों और पूंजी की गुलामी से खुद को बचाने के लिये देश के मजदूर वर्ग ने ब्रिटिश शासन के समय से ही लंबे संघर्षों और कुर्बानियों के जरिये कई श्रम कानून व अधिकार हासिल किये थे जिन्हें मोदी सरकार ने खत्म कर दिया है। ऐक्टू नेता डा. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि मोदी सरकार की नोटबंदी से शुरू होकर लाकडाउन तक रोजगार का भारी पैमाने पर विनाश हो गया है। देश आज रिकार्ड तोड़ बेरोजगारी और साथ ही कमरतोड़ महंगाई के नीचे कराह रहा है। लाकडाउन उठने के बाद भी आज काम मिल नहीं रहा है या आंशिक तौर पर मिल रहा है। इस दौरान सनसेरा श्रमिक संगठन के अध्यक्ष दीपक कांडपाल, महामंत्री जोगेंद्र लाल, गणेश दत्त तिवारी, बीएसएनएल कैजुअल एंड कान्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन के ललितेश प्रसाद, नवीन कांडपाल, चंद्रा सिंह, सोनू सिंह, एनडी जोशी, क्रालोस के मोहन मटियाली आदि मौजूद रहे।
किसानों के बाद अब श्रमिकों के उत्पीडऩ पर तुली सरकार
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