नवरात्र के पावन अवसर पर हल्द्वानी हिम्मतपुर तल्ला कुन्तीपुरम निवासी रिटायर प्रोफेसर पं. श्रीनिवास मिश्रा ने सम्पूर्ण परिवार सहित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स दिल्ली को अंगदान हेतु शपथ पत्र प्रेषित किया। इस अवसर पर श्रीनिवास मिश्र ने कहा कि रक्तदान, अंगदान जीवित श्राद्ध करने के समान है। समाज हित में ऋषि, मुनि की परम्परा का अनुसरण करना है, वसुधैव कुटुम्बकम को चरितार्थ करना है।
अंगदान शपथपत्र प्रेषित करने वालों में श्रीनिवास मिश्रा की पत्नी कमला मिश्र, उनके पुत्र हल्द्वानी एमबीपीजी कॉलेज के हिंदी विभाग एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सन्तोष मिश्र, पुत्र बधु गीता मिश्र तथा उनकी पौत्री शिवानी मिश्र व हिमानी मिश्र शामिल हैं। तीन पीढ़ियों का एक साथ अंगदान हेतु शपथ लेना अनुकरणीय तथा सराहनीय कदम है।
●एम्स में दो तरीके से अंग दान किया जा सकता है।
1.जीवित रहते अंगदान की शपथ लेकर।
2.मृत्यु के उपरांत परिवार के सदस्यों की सहमति से।
●जीवन में कभी भी कोई भी व्यक्ति दो गवाहों की उपस्थिति में जिसमें से एक करीबी रिश्तेदार हो, अंगदान शपथ पत्र भर सकता है।
●अंगदान का शपथ पत्र एम्स की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है, यह प्रपत्र निशुल्क है।
●अंगदान शपथ पत्र के सही पाए जाने पर एम्स दिल्ली द्वारा ऑर्गन डोनर कार्ड प्रदान किया जाता है, एम्स की सलाह होती है कि डोनर कार्ड हर समय जेब में रखना चाहिए।
●अंगदान के समय अंग दानी के परिवार पर कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ता है।
●अंगदान करने से मृत शरीर को बाहर से कोई क्षति नहीं दिखती है, बल्कि सामान्य दिखती है ताकि अंतिम संस्कार कोई असुविधा ना हो।
अंग पुनः स्थापन बैंकिंग संस्था आर्बो अंगदान की प्रक्रिया को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए देश के विभिन्न भागों में अस्पतालों की चेन बना रहा है ताकि हर जगह से समन्वय स्थापित कर अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाया जा सके। दिल्ली के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों के साथ-साथ कैलाश हॉस्पिटल नोएडा, संजय गांधी पीजीआई लखनऊ, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़, केयर हॉस्पिटल हैदराबाद, जसलोक हॉस्पिटल मुंबई को भी इस अंगदान नेटवर्क से जोड़ा गया है। इसके सुविधाजनक संचालन के लिए हर संस्था में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
एम्स को शपथ पत्र प्रेषित करते हुए मिश्र परिवार के मुखिया श्रीनिवास मिश्र ने एम्स दिल्ली से यह भी आग्रह किया है कि मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी को भी अंगदान चेन में शामिल किया जाए ताकि स्थानीय अंगदानी भी अंगदान कर पुण्य कमा सकें।