आज के दौर में ऐसे लोग बहुत कम होते है जो अपनी जिंदगी को किसी के लिए न्योछावर कर दिया.गरीब होते हुए भी अपने सपनो को मारकर अपनी बेटी के लिए सब कुछ किया.दुनिया में ऐसे लोग भी होते है जो अपने काम की मिशाल कायम कर देते है.उनको दिल से सलाम.एक ऐसा ही मिशाल कायम की है कूड़ा बिनने वाले ने.जो गरीबी के आलम के कारण अपनी जीविका के लिए कूड़ा बीनता है लेकिन उसने जी किया काबिले तारीफ है.बड़े बड़े सेठ लोग भी नहीं कर सकते है.किसी ने सच की कहा है आप अगर भलाई करना चाहे तो गरीबी अमीरी होना कोई फर्क नहीं पड़ता है.
यह कहानी है महोबा कर रामकिशोर की जो अपनी ओर अपनी बूढ़ी मा की जीविका कूड़ा में बोतल ओर प्लास्टिक आदि चुग चुग कर चलता है.यह काम करने वालो को समाज में हीन भाव से देखा जाता है और उन्हें इज्जत नहीं दी जाती है.रामकिशोर की कहानी सुन कर आओ दिल से उसकी तारीफ करोगे.रामकिशोर अपने दैनिक कार्य की तरह ही उस दिन भी कूड़ा बीनता हुआ जा रहा था.वहा उस एक लिपटा हुआ लाल कपड़ा मिला.
जैसे उस कपड़े को खोल कर देखा उसमे एक मासूम सी बच्ची थी.रामकिशोर उसे देखते ही चोक गया और डर गया.रामकिशोर ने खुद पर काबू करते हुए बच्ची को पास कर हॉस्पिटल लेकर गया.वहा बच्ची स्वस्थ हो गई.रामकिशोर ने वहा निर्णय लिया में इस मासूम सी बच्ची को पाल पोश कर बड़ा करुगा ओर पढ़ाई करवाएगा.राम किशोर ने बच्ची का नाम मानसी रख दिया और खुद उसका पिता बन कर परवरिश करने लग गया.रामकिशोर ने अपने पेट की काट काट कर उसकी परवरिश की.रामकिशोर ने उस लड़की को पढ़ा लिखा कर अफसर बनाना चाहता था जो पूरा भी हुआ.रामकिशोर खुद फटेहाल कपड़े में रहता लेकिन अपनी बेटी मानसी को कभी महसूस नहीं होने दिया.
उसे कभी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी.अपने मेहनत के दम पर मानसी को स्नातकोत्तर कराया कृषि क्षेत्र में.मानसी भी खूब मेहनत करके पढ़ी ओर अपने पिता रामकिशोर का सपना पूरा किया ओर दिल्ली में हार्टिकल्चर में अधिकारी पद पर हो गया.राम किशोर ने खुशी में अपने पूरे गांव में मिठाई खिलाई.आपको बता दे मानसी को अभी तक नहीं मालूम था कि रामकिशोर उसका असली पिता नहीं है.लेकिन 2019 में मानसी की शादी की बात होने लगी तब रामकिशोर ने पूरी सच्चाई और कहानी मानसी को बता दी.एक बार तो मानसी ने मानने से इंकार कर दिया.मानसी की आंखे भर आई ओर उसने वचन किया कि वो अपने पिता को अपने पास रखे सोशल मीडिया से