आमोद प्रमोद का नहीं आत्मज्ञान का माध्यम है श्रीमद् भागवत

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हल्दूचौड पूर्व मंत्री हरिश्चंद्र दुर्गा पाल के आवास पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथा वाचक हिम संत पंडित दुर्गा दत्त त्रिपाठी ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा आमोद प्रमोद का अथवा नाचने नचाने का माध्यम नहीं है वरन यह समस्त प्रकार के विकारों से रहित होकर आत्मज्ञान प्राप्त करने का सबसे सशक्त माध्यम है उन्होंने कहा कि एक ऐसा आत्मज्ञान जिसे भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया जिसे मुनि सुकदेव द्वारा राजा परीक्षित को बताया गया जिसे सनत कुमार द्वारा देव ऋषि नारद को बताया गया और जिसे गोकर्ण द्वारा धुंधकारी को बताया गया उन्होंने कहा कि भक्ति में कीर्तन और संकीर्तन का बहुत महत्व है लेकिन यह कीर्तन एवं संकीर्तन श्री हरि के चरणों की भक्ति प्राप्त करने के लिए ही होना चाहिए उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा वास्तव में सत्संग है अर्थात जिसका पावन सानिध्य मनुष्य के समस्त प्रकार के पाप और संताप मिटाते हुए उसे मुक्ति का और मोक्ष का मार्ग बताता है इस अवसर पर पूर्व मंत्री हरिश्चंद्र दुर्गापाल हेमवती नंदन पंकज गोपाल सिंह नेगी प्रकाश जोशी पीतांबर दुमका स्वामी राजेश्वर गिरी स्वामी अशोकानंद गिरि समेत अनेको श्रद्धालु मौजूद रहे।

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