प्रॉपर्टी खरीदने पर देना पड़ेगा टैक्स, इनकम विभाग ने जारी किये नए नियम

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अगर आपने बचत खाते में 10 लाख रुपए या चालू खाते में 50 लाख रुपए जमा किए हैं। भूखंड या कोई प्रॉपर्टी 30 लाख रुपए से ज्यादा की खरीदी है।

ऐसे मामलों की जानकारी आयकर रिटर्न (ITR) में नहीं दी तो आयकर विभाग के पास यह जानकारी पहुंच सकती है। अधिकारियों ने बताया lकि संबंधित विभागों को पिछले वित्तीय वर्ष का स्टेटमेंट ऑफ फाइनैंसियल ट्रांजेक्शन (SFT) 31 मई तक दाखिल करना होगा।

ITR में जिन्होंने ऐसे लेनदेन या खरीद-फरोख्त की जानकारी नहीं दी होगी, SFT से उसका पता चल जाएगा। फिर उन्हें नोटिस देकर लेनदेन या खरीद-फरोख्त के बारे में जानकारी मांगी जाएगी।

जवाब संतोषजनक नहीं मिला तो गहन जांच के बाद टैक्स की वसूली की जाएगी। SFT की जानकारी नहीं देने वाले विभागों पर हर रोज के हिसाब से एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।

बैंक, रजिस्ट्री ऑफिस, वित्तीय संस्थान, शेयर की खरीद-फरोख्त करने वाले संस्थानों से SFT की जानकारी मांगी गई है। इस जानकारी में पैन या यूआईडी का उल्लेख होगा,जिसके जरिए आयकर विभाग की टीम ITR भरने वालों तक पहुंच सकती है। किसी व्यक्ति ने अपने ITR में अघोषित लेनदेन का जिक्र नहीं किया है तो SFT से मिले डेटा के आधार पर उसे नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा।

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अगर जवाब संतोषजनक मिला तो जांच बंद हो जाएगी, अन्यथा उसकी गहन जांच के निर्देश दिए जाएंगे। गड़बड़ी मिलने पर जुर्माना लगाने की कार्रवाई की जाएगी।.

SFT का डेटा देने में विभाग और संस्थान कई बार लेटलतीफी करते हैं, इसी वजह से इस बार 31 मई की डेडलाइन तय करके जुर्माने की शर्त को कड़ाई से लागू करने के लिए कहा गया है।

आयकर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि भूखंड और भवन की खरीद-फरोख्त की रजिस्ट्री सब रजिस्ट्रार कार्यालय में होती है। वहां पर 30 लाख रुपए से अधिक की प्रॉपर्टी किसी ने खरीदी है ,तो उसकी जानकारी देनी होगी। इसके अलावा बैंक, कोऑपरेटिव बैंक, एनबीएफसी, निधि, पोस्ट मास्टर जनरल, शेयर, डिबेंचर और बॉड को जारी करने वाले,

म्यूचुअल फंड के ट्रस्टी, फॉरेन एक्सचेंज डीलर, लाभांश देने वाली कंपनियां इसमें शामिल हैं। इन सभी को अपने उपभोक्ताओं का डेटा 31 मई तक आयकर विभाग को देना होगा।

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टैक्स चोरी पकड़ने और अघोषित तरीके से खर्च करने वालों पर नजर रखने के लिए आयकर विभाग ने यह नियम बनाया है। इसे SFT के जरिए ट्रैक किया जाता है।

विभिन्न संस्थानों और संगठनों में खर्च की एक तय सीमा है। उस सीमा से ज्यादा किसी ने लेनदेन किया है तो उस संस्थान, संगठन या विभाग की जिम्मेदारी है कि ऐसे लोगों का डेटा आयकर विभाग के साथ शेयर करें।आयकर विभाग के अधिकारी उस डेटा को संबंधित व्यक्ति के ITR से मिलाते हैं। ITR में अगर उस खर्च का जिक्र नहीं है तो उसे अघोषित माना जाता है। फिर उस खर्च के बारे में आयकर दाता को नोटिस देकर जानकारी मांगी जाती है।

10 लाख रुपए या उससे ज्यादा का डिमांड ड्राफ्ट, पे ऑर्डर या बैंकर चेक कैश देकर किसी ने बनवाया।

-चालू खाते में 50 लाख रुपए या इससे ज्यादा के कैश जमा या निकासी।

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-एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपए से ज्यादा की FD कराने पर।

-एक लाख रुपए से ज्यादा के क्रेडिट कार्ड का बिल कैश में जमा करने पर।

-10 लाख रुपए से ज्यादा का क्रेडिट कार्ड का बिल किसी तरह से भी भरने पर।

-किसी वस्तु या सेवा की खरीद में 2 लाख रुपए से ज्यादा के नकद भुगतान पर।

30 लाख रुपए या ज्यादा की प्रॉपर्टी खरीदने पर।

आयकर विभाग के सूत्रों ने बताया कि 2 हजार रुपए की नोटबदली के बाद बड़े स्तर पर अघोषित लेनदेन और प्रॉपर्टी खरीदारों का इनपुट मिला है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के फैसले के बाद कई ऐसे बैंक खातों में 10 लाख रुपए या इससे ज्यादा जमा कराए गए, जिनमें कभी बड़ा लेनदेन नहीं हुआ था।

कई इलाकों में लोगों ने जमीन की खरीदारी भी खूब की है। यही कारण है कि आयकर विभाग ने इस बार SFT की डिटेल को लेकर ज्यादा सख्ती दिखाई है। आगे भी इस तरह के डेटा विभागों से मांगे जा सकते हैं।

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