बिन्दुखत्ता।इस कलिकाल में लंबी उम्र जहां एक कल्पना बनते जा रही है वही 110 वर्ष की लम्बी आयु जीकर सरस्वती आमा दिव्य लोक को प्रस्थान कर गयी आज सांय को उनका निधन हो गया जिनकी अन्तिम यात्रा कल यानी शनिवार को प्रातः रानीबाग को प्रस्थान करेगी
यहाँ यह बताते चले कि उनके चेहरे पर अन्तिम समय तक गजब के उत्साह का संचार था ।इनसे आशीर्वाद लेकर लोग अपनें सौभाग्य की सराहना करते थे।
सरस्वती देवी अपने सभी कार्यों को आज भी स्वयं अपने हाथों से सम्पन करती थी । उन्हें इस उम्र में भी किसी सहारे की आवश्यकता नहीं थी ।बल्कि अपने बच्चों व नाती पोतों के लिए वे स्वंय विराट वट वृक्ष की भांति सहारा थी । सात्विक जीवन की कसौटी पर लगभग110 बसंत देख चुकी सरस्वती देवी को लोग प्यार से आमा कहकर पुकारते थे । मूल रुप से देवभूमि उत्तराखण्ड़ के जनपद चमोली के ग्राम हरनी की रहनें वाली सरस्वती देवी पत्नी स्व० अमर सिंह बिष्ट अपने परिवारी जनों के साथ वर्तमान में अपने 58 वर्षीय नाती मदन सिंह बिष्ट के साथ इंद्रानगर बिन्दुखत्ता मे रहती थी। इनके पड़ोसी सामाजिक कार्यकर्ता श्री श्याम सिंह बताते हैं । कि आमा का जीवन बेहद सात्विक रहा है सभी स्नेहीजनों लोगों की आसल कुशल लेना उनसे मिलना जुलना आज भी इनकी दिनचर्या में शामिल था। इनके पुत्र पुत्रियो सहित 25 नाती व छ्ह दर्जन से अधिक पणनातियों का भरपुर परिवार है। इस युग में इस उम्र में स्वास्थ जीवन जीकर देह का परित्याग करना ईश्वरीय वरदान का महान् उपहार ही कहा जा सकता है।
आमा के निधन पर तमाम राजनैतिक सामाजिक आध्यामिक लोगो ने गहरा शोक प्रकट करते हुए उनके आत्मा की शान्ति की ईश्वर से प्रार्थना की है