56 विधानसभा लाल कुआं में आज चुनाव पूरी तरह से शांतिपूर्ण देखा गया कहीं कहीं पर मतदान की धीमी गति होने के भी आरोप लगे हैं मतदान की धीमी गति किस प्रत्याशी को फायदा दिलाएगी और किस को नुकसान होगा इसको लेकर के अब कयास लगने लगे हैं लाल कुआं विधानसभा बिंदुखत्ता से लेकर के चोरगलिया तक के क्षेत्र फैली हुई है 142 बूथों में 121000 से ज्यादा मतदाताओं वाली सीट पर मतदाता अपने मतों का इस्तेमाल करेंगे जिसमें से 1070 सर्विस वोटर भी है आज
मतदान की प्रक्रिया धीमी होने का आरोप है मतदाताओं का कहना है कि हम तो लाइन में खड़े रहे लेकिन नंबर बहुत देर से आया कई लोग तो बिना वोट करें घर को वापस जाते हुए देखे गए महिला मतदाताओ का कहना था कि हम कई किलोमीटर की दूरी तय करके वोट करने के लिए आए थे लेकिन मतदान प्रक्रिया में व्यवस्थाओं के सही होने से उन्हें वापस बैरन जाना पड़ा है और जब मीडिया की टीम उक्त स्थल में पहुंची तो वहां के कुछ जिम्मेदार लोगों ने निर्वाचन आयोग को इस को लेकर के शिकायत भी की लेकिन समाचार लिखे जाने तक कोई समाधान नहीं दिखाई दिया ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि निष्पक्ष एवं स्वतंत्र मतदान की बात करने का दंभ भरने वाले निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी आखिर कहां खड़ी है अपने आप में बहुत बड़ा प्रश्न इधर पोलिंग बूथ पर तैनात आशा वर्कर एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना था कि वह सुबह से लेकर के अब तक अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं लेकिन पोलिंग बूथ पर में पानी तक नसीब नहीं हुआ और भूखे प्यासे हो करके अपना काम कर रहे हैं बरहाल जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उनके सहयोगी यह चुनाव हर दृष्टि से सफल कराने का दायित्व था लेकिन उस पर वह सफल नहीं हो पाया कई स्थानों पर सीनियर सिटीजन वोटिंग का इंतजार करते हुए देखे गए लेकिन कोई व्यवस्था न होने के बाद उन्हें वापस घर जाना पड़ा जबकि नियमानुसार निर्वाचन आयोग द्वारा उनके लिए अलग व्यवस्था किए जाने का प्रावधान था कुल मिलाकर उत्तराखंड के कद्दावर नेता हरीश रावत के चुनाव में उतरने के बाद हाट सीट बन चुकी लाल कुआं में माना जा रहा था कि तमाम प्रकार की व्यवसाय सही होंगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ कुल मिलाकर के निर्वाचन आयोग की लापरवाही का क्षेत्र के मतदाताओं आक्रोश देखा गया वहीं लापरवाही किस प्रत्याशी को फायदा पहुंचाएगी या किसे नुकसान इस बात को लेकर भी तमाम प्रकार के कयास लगने लगे हैं