जलमग्न कैंचुला देवी मंदिर नील पर्वत पर स्थित मां चंडी देवी मंदिर से जुड़ी

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विक्रम सिंह रिपोर्टर
हल्द्वानी :
भीमताल के पास चंदा देवी में भक्तों की आस्था मुख्य रूप से नैनीताल जिले के नील पर्वत पर स्थित मां चंडी देवी मंदिर से जुड़ी है, जो देवी पार्वती के एक रूप चंडी देवी को समर्पित है, लेकिन कुछ लोग भीमताल में स्थित जलमग्न कैंचुला देवी मंदिर को भी चंदा देवी से जोड़ सकते हैं, जिसकी आस्था नाग वंशियों और मां के रूप में मानी जाती है। 

चंडी देवी मंदिर, नैनीताल

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उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित नील पर्वत की चोटी पर है। यह देवी चंडी को समर्पित एक सिद्धपीठ है, जहाँ भक्त मनोकामना लेकर जाते हैं। यह वह स्थान है जहाँ देवी ने शुंभ और निशुंभ नामक राक्षसों का वध किया था, और यह दुष्ट शक्तियों पर दैवीय शक्ति की विजय का प्रतीक है। भक्त पगडंडी पर चढ़कर या रोपवे से मंदिर पहुँच सकते हैं, जहाँ से हरिद्वार और गंगा का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। नवरात्रि, चंडी चौदस और कुंभ मेले के दौरान यह मंदिर भक्तों की भीड़ से भर जाता है।

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कैंचुला देवी मंदिर, भीमताल 

भीमताल झील के पूर्वी तट पर, जल में विद्यमान एक मंदिर। यह मंदिर नाग वंशियों द्वारा स्थापित किया गया था और इसे नागराज कर्कोटक की माता के रूप में माना जाता है, ऐसा जगन की रिपोर्ट है। ऐसी मान्यता है कि नागराज कर्कोटक प्रतिदिन माँ का दूध पीने के लिए आते थे, और आज भी मंदिर से दो जलधाराएँ निकलकर झील में समा जाती हैं, जिन्हें मानसरोवर के तुल्य माना जाता है। नवरात्रि और सावन के महीने में यहाँ भक्तों का ताँता लगा रहता है।

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