
दीवाली से पहले कांग्रेस में बड़े स्तर के फेरबदल होने की संभावना है। ये फेरबदल 2027 में होने वाले विस चुनाव को देखते हुए भी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। दीवाली से पहले उत्तराखंड के 20 संगठनात्मक जिलों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति होने की पूरी संभावना है। एआईसीसी ने 15 अक्तूबर को दिल्ली में प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में नए नए कांग्रेस जिलाध्यक्षों के नाम पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी। बताया जा रहा है कि केंद्रीय आब्जर्वरों की रिपोर्ट के आधार पर आधे से अधिक जिलाध्यक्षों की कुर्सी पर संकट मंडरा रहा है। एआईसीसी ने सितंबर में प्रदेश की राजनीतिक नब्ज टटोलने के लिए 26 ऑब्जर्वर भेजे थे। इन ऑब्जर्वरों ने एक से 30 सितंबर तक सभी जिलों का दौरा कर 15 जिलाध्यक्षों और सात महानगर अध्यक्षों के दावेदारों पर रिपोर्ट सौंपी थी। इसी को देखते हुए अब आला कमान दीवाली से पहले उत्तराखंड के कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी में है। दिल्ली में होने वाली बैठक में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) सदस्य हरीश रावत, गणेश गोदियाल, काजी निजामुद्दीन, केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) सदस्य करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह को आमंत्रित किया गया है। इधर, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के मुताबिक एआईसीसी ने 15 अक्तूबर को प्रदेश के सीडब्ल्यूसी और सीईसी सदस्यों की बैठक बुलाई है। बताया कि दीवाली से पहले प्रदेशभर के 20 संगठनात्मक जिलों में अध्यक्षों के नाम फाइनल कर लिए जाएंगे।
ये नेता प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में
कांग्रेस के सामने अब अगली चुनौती 2027 विस चुनाव हैं। इसी बीच अब प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का पद भी कांग्रेस में चर्चा का विषय बन चुके हैं। इस वक्त कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी तीनों ही कुमाऊं मंडल से हैं। ऐसे हालात में कांग्रेस 2027 के विस चुनाव में क्षेत्रीय समीकरणों को मजबूत करने की दिशा में काम कर सकती है। बताया जा रहा है कि पार्टी गढ़वाल मंडल से किसी वरिष्ठ विधायक को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी देने पर विचार कर रही है। पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल और प्रीतम सिंह इस दौड़ में आगे बताए जा रहे हैं।