कृषि कानूनों के विरोध में किसान और सरकार के बीच आज होने वाली वार्ता पर टिकी निगाहें

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कृषि कानूनों के विरोध में किसान करीब दो महीने से दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। 26 जनवरी से पहले शुक्रवार को होने वाली किसान और सरकार के बीच वार्ता पर सबकी निगाहें टिकी हैं। वहीं, किसान संगठनों का कहना है कि सरकार के वादे पर कोई भरोसा नहीं है, कृषि कानून तत्काल वापस होने चाहिए। फिर भी किसान संगठनों का संयुक्त मोर्चा जो फैसला लेगा, उसे माना जाएगा

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कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा, पंजाब, यूपी और उत्तराखंड के किसान दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए, लेकिन सरकार ने मांगों पर कोई संज्ञान नहीं लिया है। सरकार और किसान नेताओं के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है, जो अभी तक किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी है।

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पिछली बैठक में सरकार ने आश्वासन दिया था कि कृषि कानूनों को डेढ़ साल के बाद लागू किया जाएगा। सरकार के इस आश्वासन के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ किसान मानकर चल रहे हैं कि शुक्रवार को होने वाली बैठक में कोई रास्ता निकल सकता है।

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