समतलीकरण के नाम पर चंद लोगों को खनन पट्टा देना गौला खनन पर लग सकता है ग्रहण, 7 और 32 के चक्कर में फँसा खनन व्यवसाय

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हल्दुचौड़ : सरकार की गलत नीतियों के चलते गौला खनन व्यवसाय से जुड़े हुए लाखो लोगों के रोजी-रोटी पर संकट पैदा हो गया है । उत्तराखंड सरकार ने समतलीकरण के नाम पर चंद लोगों को खनन पट्टे देने से गौला से जुड़े लगभग 7500 वाहन स्वामियों समेत नैनीताल उधम सिंह नगर के स्टोन क्रेशर ओं समेत आम जनमानस प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए लोगों को आने वाले साल में गोला खनन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है । कारण स्टोन क्रेशर ओं में उप खनिज का डंप पड़ा हुआ है क्रेशर स्वामियों ने कहा अगर स्थिति ऐसी रही तो आने वाले साल में खनन सामग्री नहीं खरीद पाएंगे ।उन्होंने बताया इसका कारण माल का उठान न होना दूसरा बड़ा कारण पट्टौ की रॉयल्टी 7रुपया जबकि गोला नदी की रॉयल्टी ₹ 32 होने से अर्थात लगभग 5 गुना खनन सामग्री की लागत अधिक होने के कारण खनन का उठान नहीं हो पा रहा है।

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बीते साल वाहन स्वामियों और क्रेशर मालिकों द्वारा इसका विरोध किया था। समतलीकरण के नाम पर सरकार ने कुछ लोगों को पट्टे देकर इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। 3 माह बीत जाने पर भी वाहन स्वामियों का क्रेशर द्वारा भुगतान नहीं किया गया उनका एक ही जवाब है माल की बिक्री नहीं हो पा रही है । गौला खनन का व्यवसाय टोटल 100 दिन चलता है यानी कि 3 माह जबकि 6 माह का टैक्स लिया जाता है। और ड्राइवरों की तनख्वाह टैक्स इंश्योरेंस 6 माह देना पड़ता है । इससे भी वाहन स्वामी के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया।

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फिलहाल सरकार को इस संबंध में गौला नदियों की रॉयल्टी को कम करके इस व्यवसाय आ रही दिक्कतों को कम किया जा सकता है। एक और सरकार सबका विकास की बात करती है । इतनी महंगाई में लोगों को अपना घर बनाना बहुत मुश्किल हो गया है हर तरफ महंगाई की मार से आम जनमानस परेशान है। हालांकि गौला नदी से सरकार को करोड़ों रुपए का राजस्व मिलता है । क्षेत्र का मुख्य व्यवसाय गौला नदी है जो क्षेत्र के विकास के साथ-साथ लोगों का रोजगार भी इसी से जुड़ा हुआ है । समय रहते सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो परिणाम कुछ भी हो सकता है।
क्षेत्र में बेरोजगारी के साथ-साथ सरकार को भी करोड़ों रुपए का घाटा हो जाएगा।

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