प्रदेश में मंहगी कॉपी-किताबों को लेकर इन दिनों चर्चाओं के बाजार गर्म है। आम आदमी मंहगाई के बोझ तले दबा जा रहा है। इसी बीच मंहगी कॉपी-किताबों को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल ने हल्ला बोल किया है। उक्रांद ने इस मामले में शिक्षा महानिदेशक को ज्ञापन सौंपा है।
मंहगी कॉपी-किताबों को लेकर उक्रांद का अल्टीमेटम
मंहगी कॉपी-किताबों को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल ने शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी को ज्ञापन सौंपा है। जिसमें कहा गया है कि हर साल की तरह ही इस साल भी नया सत्र शुरू होते ही निजी शैक्षिक संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को पाठ्यक्रम व विद्यालयी पोषक के नाम पर लूटने का काम किया गया है।
निजी शैक्षिक संस्थानों ने नियम व नैतिकता के विरुद्ध जाकर स्कूल ड्रेस और पाठ्यक्रम के लिए अभिवावकों को चिन्हित दुकान अथवा विद्यालय परिसर से ही खरीदने के लिए बाध्य किया है। स्कूल महंगे दामों पर मनमाने ढंग से पाठ्यक्रम व पोषक बेचकर अभिवावकों का आर्थिक शोषण रहे हैं।
72 घंटों में मांग पूरी ना होने पर किया जाएगा आंदोलन
निजी स्कूलों के खिलाफ यूकेडी ने शिक्षा महानिदेशक ज्ञापन देते हुए कहा कि अगर जनमानस की भलाई के लिए 10 बिंदुओं की रखी गई मांग को 72 घंटों में पूरा नहीं किया जाता तो जनता की भलाई के लिए वो आंदोलन करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में यूकेडी द्वारा शिक्षा महानिदेशालय का घेराव किया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी स्वयं विभाग पर होगी।
निजी शैक्षिक संस्थानों की मनमानी पर जताया आक्रोश
यूकेडी के केंद्रीय प्रवक्ता अनुपम खत्री ने आक्रोश जताया कि कई निजी शैक्षिक संस्थानों ने मनमानी पर आक्रोश जताया। उन्होंने कहा कि ट्यूशन फीस के नाम पर बेतहाशा बढ़ोत्तरी कर दी है। रि-रजिस्ट्रेशन और अन्य दरो के नाम पर भी इनका वसूली कार्यक्रम जारी है।
यदि कोई अभिवावक ट्यूशन फीस समय से नहीं दे पाता अथवा देरी से जमा हो तो ऐसी दशा में निजी संस्थान कक्षा में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को कक्षा अध्यापक द्वारा कक्षा कक्ष में अन्य विद्यार्थियों के समक्ष लज्जित करवाते हैं।
इसके साथ ही बच्चों को परीक्षा में न बैठाने की धमकियाँ देते हैं। यहाँ तक कि बच्चे का परीक्षा परिणाम पत्र भी रोक लेते हैं। ऐसे में उनका भविष्य खतरे में आ जाता है। साथ ही साथ बच्चे मानसिक उत्पीड़न का शिकार बनते हैं।
सरकार के दिशानिर्देशों के बाद भी मनमानी कर रहे निजी स्कूल
यूकेडी का कहना है कि निजी स्कूल महंगे दामों पर मनमाने ढंग से पाठ्यक्रम व पोषाक खरीदवाकर अभिवावकों का आर्थिक शोषण रहे हैं। जबकि सरकार द्वारा ये घोषणा की गई थी कि कोई भी निजी संस्थान विद्यालय पोषक व पाठ्यक्रम के लिए विशेष दुकान फिक्स नहीं कर सकती।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि न ही कोई संस्थान खुद पाठ्यक्रम व पोषक बेचेगी। परन्तु सरकार के दिशानिर्देशों को दरकिनार कर, निजी शैक्षिक संस्थान मनमाने ढंग से काम कर रहीं हैं। निजी स्कूल एक तरह से अवैध वसूली में लिप्त हैं।
प्रदेश में N.C.E.R.T. लागू होने के बाद पाठ्यक्रम इतना मंहगा कैसे ?
यूकेडी नेता राजेन्द्र पंत ने शिक्षा महानिदेशक ने पूछा कि पाठ्यक्रम किस आधार पर इतना महंगा हुआ है। जबकि प्रदेश में N.C.E.R.T. लागू है? कैसे ये निजी संस्थान मनमाने ढंग से बेपरवाह होकर नियमों को तोड़ रहे हैं? आखिर शिक्षा विभाग कैसा कर्तव्य निभा रहा है? N.C.E.R.T के पाठ्यक्रम में संसोधन समयानुसार क्यों नहीं हो रहा?
छात्रों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़
यूकेडी की केंद्रीय महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने कहा कि विद्यालय संस्थान एक एनजीओ होती हैं। जिसका उद्देश्य मुनाफा कमाना नहीं होता। परंतु आज उत्तराखंड में स्थापित हर एक निजी शैक्षिक संस्थान आधार भूत नियमों के परे जाकर अभिभावकों का आर्थिक शोषण ही नहीं छात्रों के भविष्य से भी खिलवाड़ कर रही हैं। जो अति चिंता का विषय है।
सरकार से सामने ये रखी प्रमुख मांग
आप इस तरह की अनैतिक कार्य करने वाले निजी शैक्षिक संस्थानों को चिन्हित कर उनके नाम सार्वजनिक करें।
जो निजी शैक्षिक संस्थान रि रजिस्ट्रेशन के नाम पर धन वसूल रही है उन्हें चिन्हित कर उन्हें रोका जाये और अभिभावकों को वो धन वापस करवाया जाए।
कक्षा अनुसार ट्यूशन फीस की दर विभाग द्वारा तय हों और तय दरों को सार्वजानिक व लागू करवाया जाए।
स्कूलों को आदेशित किया जाए कि वो अपने नोटिस बोर्ड पर तय दरों को चस्पा करें।
ट्यूशन फीस देर होने की वजह से जो निजी शैक्षिक संस्थान छात्र छात्राओं का परिणाम पत्र नहीं दे रहे और अगली कक्षा में नहीं बैठने दे रहे उन पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई के साथ आदेशित किया जाये कि भविष्य में वो ऐसा न करें।
निजी संस्थानों में पढ़ाने वाले अध्यापक या अध्यापिका की शैक्षिक योग्यता और उनको जो तनखा स्कूल दे रहा है इस पर भी जांच हो।
जिन विद्यालयों का भवन व परिसर नियम अनुसार नहीं है उनको तत्काल प्रभाव से बंद करवाया जाए।
निजी संस्थाओं द्वारा लिए जा रहे वार्षिक शुल्क कि दर एक सामान हो और उसकी सीमा तय की जाए।
N.C.E.R.T के अंतर्गत जारी पाठ्यक्रम की पुनः समीक्षा की जाये और विद्यालय द्वारा NCRT के साथ अनिवार्य रूप से विद्यालय द्वारा दी जा रही महँगी रेफ़्रेन्स बुक बंद की जाए।
निजी विद्यालय द्वारा जो पाठ्यक्रम व स्कूल पोषक बिक्री का सिण्डिकेट तरीका अपनाया जा रहा है उस पर तत्काल रोक लगाई जाए।