उत्तराखंड राज्य गठन के 23 साल का समय बीतने के बाद भी सीमावर्ती इलाकों में सीमा विवाद अनसुलझा है। सीमांकन न होने के कारण यूपी और उत्तराखंड के किसानों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। विवाद का लाभ उठाते हुए भू-माफियाओं ने यहां जमीनों पर अवैध कब्जे किए हैं। पूर्व में जमीनों पर कब्जे के विवाद को लेकर यहां कई बार संघर्ष भी हो चुका है।
वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य बना था। उस समय लक्सर तहसील से सटी उत्तर प्रदेश की बिजनौर और मुज्जफरनगर तहसील में गंगा को सीमा मान लिया गया था, लेकिन सीमावर्ती के कई गांवों में दोनों राज्यों के किसानों की भूमि यूपी और उत्तराखंड सीमा के अलावा सीमाओं के भीतर भी स्थित है। दोनों राज्यों के बीच सीमा पर हजारों बीघा भूमि है। जिसकी पैमाइश न होने के कारण इन जमीनों पर कब्जे को लेकर दोनों राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्र के किसानों के बीच विवाद है।
बताया गया कि विवादित जमीनों पर भू माफिया अवैध रूप से कब्जा कर फसलें उगा रहे हैं। पिछले दिनों स्थानीय किसानों की शिकायत पर प्रशासन ने यूपी तहसील प्रशासन के साथ मिलकर संयुक्त पैमाइश का प्रयास किया था। इस दौरान दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच सीमा पर संयुक्त बैठक कर नक्शों का मिलान भी किया गया।
लेकिन संयुक्त पैमाइश की यह कवायद परवान नहीं चढ़ सकी। एसडीएम गोपाल सिंह चौहान का कहना है कि सीमा विवाद को लेकर उत्तर प्रदेश प्रशासन को लिखा गया है। दोनों राज्यों की संयुक्त टीम गठित कर सीमा विवाद को सुलझाया जाएगा