रुद्रप्रयाग जिले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है जानकारी के अनुसार बता दे कि यहां पर हीचारधाम मंदिर श्राइन बोर्ड गठन के खिलाफ तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ तो प्रदेश सरकार चारधाम देवस्थानम बोर्ड के जरिए उत्तराखंड के तीर्थस्थलों के विकास की बात कह रही है, लेकिन राज्य सरकार के इस फैसले का चौतरफा विरोध हो रहा है। वहीं अब देवस्थानम बोर्ड एक्ट से जुड़े विवाद में एक नया मोड़ आ गया है पिछले दिनों नए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पुरोहितों को मनाने की जो कोशिश की थी, वह नाकाम होती दिख रही है, दूसरी तरफ तीर्थ पुरोहितों ने पीएम मोदी को अपने खून से पत्र लिखकर भेजा है,
जिसमें चार धाम में चली आ रही पुरानी परंपराओं को बचाने की गुहार की गई है. साथ ही चार धाम से जुड़ी मंदिर समितियों और पुरोहितों के अलावा 47 अन्य मंदिरों ने राज्य स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दे दी है. देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग के साथ यह प्रदर्शन 17 अगस्त से शुरू करने की बात कही गई है.देवस्थानम बोर्ड के गठन के खिलाफ बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहित पिछले कई हफ्तों से प्रदर्शन कर रहे थे. अब इन्होंने ज़िला मुख्यालयों समेत उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी धरना देने का ऐलान कर दिया है. वहीं आज तीर्थ पुरोहितों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से भरा पत्र लिखा है, केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी के हस्ताक्षर वाले इस पत्र में लिखा गया है कि राज्य सरकार द्वारा देवस्थानम बोर्ड बनाने का कदम सनातन धर्म की पौराणिक परंपराओं के साथ छेड़छाड़ है.
‘पुरोहितों के हक, हुकूकों के साथ जबरन खिलवाड़ किया जा रहा है, जो न्यायोचित नहीं है.’ साथ ही तीर्थ पुरोहितों ने पीएम मोदी से दखल देकर बोर्ड को भंग करने की मांग की है. गौरतलब है कि बोर्ड भंग किए जाने की मांग को लेकर लगातार धरने पर बैठे केदारनाथ तीर्थ के पुरोहितों का विरोध प्रदर्शन बुधवार को 59 दिन पूरे कर रहा है आपको बता दें कि राज्य सरकार चारों धामों के मंदिरों का श्राइन बोर्ड की तर्ज पर प्रबंधन करने के लिए देवस्थानम अधिनियम लाई थी।