उत्तराखंड को अयोध्या में मिली जमीन, राम मंदिर के पास बनेगा शानदार सदन, मुख्यमंत्री धामी ने CM योगी को कहा- थैंक्यू

खबर शेयर करें -

देहरादून : अयोध्या में श्रीराम मंदिर के नजदीक ही अब उत्तराखंड सदन का निर्माण होगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके लिए पूर्व में आवंटित 4700 वर्गमीटर के भूखंड के स्थान पर अब 5253.30 वर्ग मीटर का भूखंड उत्तराखंड सरकार को आवंटित किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति आभार जताया है।

अयोध्या में श्रीराम मंदिर में श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद उत्तराखंड से भी बड़ी संख्या में लोग श्रीरामलला के दर्शन को वहां जा रहे हैं। इसे देखते हुए उत्तराखंड के निवासियों को वहां ठहरने की सुविधा देने के दृष्टिगत विशाल अतिथि गृह उत्तराखंड सदन के निर्माण का निर्णय लिया।

यह भी पढ़ें -  उत्तराखंड : नैनीताल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, खनन पट्टों पर पूर्व में लगी रोक सशर्त हटाई

साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए अयोध्या में श्रीराम मंदिर के समीप चार हजार वर्ग मीटर से अधिक का भूखंड उपलब्ध कराने का आग्रह किया था।

इसके पश्चात शासन की टीम ने स्थल का निरीक्षण कर भूमि चयनित करने के साथ ही इसका साइट प्लान मुख्यमंत्री धामी को सौंपा। पूर्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में 4700 वर्ग मीटर भूमि उत्तराखंड सरकार को देने पर मुहर लगाई थी। इसके लिए सरकार की ओर से 28.47 करोड़ रुपये की राशि भी उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के संपत्ति प्रबंध कार्यालय में जमा कर दी थी।

यह भी पढ़ें -  देहरादून में उत्तराखण्ड के पहले डिजिटल रेडियो स्टेशन ‘‘ओहो रेडियो उत्तराखण्ड’’ का उद्घाटन

इस बीच मुख्यमंत्री धामी ने इससे बड़े भूखंड का आग्रह किया, जिसे उप्र सरकार ने स्वीकार कर लिया। उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के संपत्ति प्रबंधक मुकेश पाल की ओर से उत्तराखंड सरकार को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि पूर्व में आवंटित भूखंड के स्थान पर अब 5253.30 वर्ग मीटर क्षेत्रफल का भूखंड उत्तराखंड सरकार को आवंटित किया गया है।

यह भी पढ़ें -  प्लास्टिक का सामान बनाने के लाइसेंस पर बन रही थी नकली दवाएं,पुलिस ने पकड़ी फैक्ट्री, लाखों की नकली दवा बरामद

यह भूखंड श्रीराम मंदिर के नजदीक ही है। राज्य सरकार इस भूखंड में उत्तराखंड सदन का निर्माण कराएगी। पत्र के अनुसार सरकार को यह कार्य पांच वर्ष की अवधि के भीतर पूर्ण कराना होगा।

Advertisement