मुख्यमंत्री पुष्कर की घोषणा के बावजूद भी चंपावत के सील गांव के लिए अभी तक सड़क नहीं बन पाई है। जिसके चलते ग्रामीणों को वाहन के लिए आठ किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार करनी पड़ती है। जिसके कारण ग्रामीणों ने इस बार लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया है।
कंधों में राशन ढोने को मजबूर हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें कंट्रोल से राशन लाने के लिए 8 किलोमीटर पैदल चलकर चोमैल से राशन को अपने कंधों में ढोकर गांव तक लाना पड़ता है। जिसमें युवक से लेकर 70 साल तक के बुजुर्ग शामिल हैं। रोड न होने से ग्रामीण बरसों से कई समस्याओं से जुझ रहे हैं। अस्पताल पहुंचाने में कई मरीजों की अभी तक मौत हो गई है।
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लोकसभा चुनाव का किया बहिष्कार
सील गांव के ग्रामीणों ने इस बार लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता रमेश सिंह बताया की चंपावत के जिलाधिकारी ने गांव में आकर वार्ता करने को कहा था। लेकिन किसी कारण से डीएम नहीं आ पाए हैं। उन्होंने कहा अगर प्रशासन उन्हे सड़क निर्माण का भरोसा नहीं देता है तो इस बार गांव के दोनों बूथों में एक भी ग्रामीण मतदान नहीं करेगा।
ग्रामीणों ने छोड़ी सड़क निर्माण की आस
हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने अब गांव में सड़क बनने की आस छोड़ दी है। ग्रामीणों ने कहा उन्होंने सभी विभागों के चक्कर लगा लिए हैं। लेकिन कोई भी अधिकारी सुनने को कोई तैयार नहीं है। जिसके चलते उन्होंने मजबूर होकर चुनाव बहिष्कार का फैसला लेना पड़ा।
सामूहिक रूप से पलायन करने को चेताया
ग्रामीणों ने चेताते हुए कहा कि अगर समय रहते उनकी ये मांग पूरी नहीं हुई तो सभी ग्रामीण सामूहिक रूप से गांव से पलायन कर लेंगे। जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार व प्रशासन की होगी