निचली अदालत के निर्णय को उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन पर लगे दुष्कर्म के आरोप में तत्काल मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही जांच की समय सीमा निर्धारित करते हुए 3 महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया है।
क्या है मामला
जानकारी के अनुसार 12 अप्रैल 2018 को एक महिला ने शाहनवाज हुसैन पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। महिला का कहना था कि छतरपुर के एक फार्म हाउस में उसे नशीला पदार्थ खिलाकर शाहनवाज हुसैन द्वारा दुष्कर्म किया गया।
महिला ने इस मामले की शिकायत दिल्ली पुलिस से की। लेकिन मामला दर्ज नहीं किया गया। ऐसे हालात में महिला नहीं अदालत में भाजपा नेता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की। जहां साकेत जिला अदालत स्थित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 7 जुलाई 2018 को दिल्ली पुलिस को भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन के खिलाफ दुष्कर्म व अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था।
बताया जाता है मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के इस निर्णय को शाहनवाज हुसैन ने विशेष न्यायाधीश के समक्ष चुनौती दी थी। लेकिन उन्हें वहां से राहत नहीं मिली। इसके बाद शाहनवाज हुसैन ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 13 जुलाई 2018 को प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। लेकिन इस पूरे मामले को सुनने के बाद न्यायालय ने उन्हें राहत देने से इनकार करते हुए दिल्ली पुलिस को शाहनवाज के खिलाफ महिला से दुष्कर्म करने के आरोप में तत्काल मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
3 महीने में पूरी करें जांच
इस मामले को लेकर जस्टिस आशा मेमन ने कहा कि दिल्ली पुलिस 3 महीने के भीतर मामले की जांच कर संबंधित अदालत में आरोप पत्र दाखिल करे। जस्टिस मेमन का कहना था कि याचिकाकर्ता हुसैन के खिलाफ पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने में हिचक रही है। न्यायालय ने पुलिस के रवैए पर सवाल उठाया। अदालत के आदेश के खिलाफ भाजपा नेता हुसैन की अपील को आधारहीन बताते हुए उसे खारिज कर दिया गया।