28 फरवरी को धामी सरकार ने बजट पेश किया। ये बजट उत्तराखंड के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा बजट माना जा रहा है। प्रदेश में हर वित्तीय वर्ष में बजट का आकार बढ़ रहा लेकिन बजट खर्च करने की विभागों की गति उतनी ही सुस्त हो रही है।
हर साल उत्तराखंड का बजट का आकार बढ़ रहा लेकिन बजट खर्च करने की गति उतनी ही सुस्त नजर आ रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के के निर्धारित बजट आकार और खर्च होने वाली बजट राशि में एक बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। ये अंतर 15 हजार से 20 हजार करोड़ का है। जिसके बाद सरकार के सामने बजट आकार और खर्च में संतुलन साधने की चुनौती है।
89230.07 करोड़ का है बजट आकार
बता दें कि धामी सरकार ने नए वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बजट आकार 89230.07 करोड़ रखा है। जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में 77407.08 करोड़ का प्रावधान किया गया था। इसमें अनुपूरक बजट को सम्मिलित नहीं किया गया है। नए बजट का आकार इससे पहले की तुलना में लगभग 11823 करोड़ रुपए यानी 15.27 प्रतिशत ज्यादा है।
विभागों की कार्यप्रणाली में नहीं हुआ सुधार
जहां एक ओर सरकार हर साल बजट में वृद्धि तो कर रही है तो वहीं इसे खर्च करने की गति अब भी सुस्त है। सरकार बजट के उपयोग को लेकर विभिन्न विभागों की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं कर पाई है। आलम ये है कि वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में तो बजट खर्च की प्रगति बेहद ही कम है।
अंतिम महीने में खर्च हो रहा बजट का बड़ा हिस्सा
प्रदेश में बजट स्वीकृति की गति में भी ज्यादा तेजी नहीं देखने को मिल रही है। जिसके परिणामस्वरूप वित्तीय वर्ष के आखिरी महीने मार्च में बजट का एक बहुत बड़ा हिस्सा खर्च किया जाता है। कुल मिलाकर प्रदेश में बड़ी धनराशि न तो स्वीकृत हो पा रही और अगर स्वीकुत होती है तो स्वीकृत राशि शत-प्रतिशत खर्च करने में विभागों को सफलता भी नहीं मिल रही है।