अंततः आ गया है विंड और सौर का दौर

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आज जारी हुई एक रिपोर्ट से पता चलता है कि दुनिया के कुल बिजली उत्पादन में विंड और सोलर एनेर्जी अब कम से कम 10 फीसद की हिस्सेदार है।

दरअसल यह दोनों ऊर्जा स्त्रोत पिछले कुछ समय से तेज़ी से विकसित हो रहे हैं और 10 फीसद की हिस्सेदारी का यह आंकड़ा पिछले साल हासिल किया गया। और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि दुनिया के 50 देशों में कुल बिजली उत्पादन का 10 फीसद से ज़्यादा विंड और सोलर से हासिल किया जा रहा है। इतना ही नहीं, ऐसे क्लीन एनेर्जी स्रोतों ने 2021 में दुनिया की 38% बिजली का उत्पादन किया, जो कि कोयले (36%) से अधिक है।

दरअसल इन आंकड़ों का खुलासा हुआ है एम्बर की तीसरी वार्षिक वैश्विक बिजली समीक्षा में। डेटासेट और रिपोर्ट 2000 से 2020 तक 209 देशों के लिए बिजलीउत्पादन को कवर करती है, जिसमें 2021 के नवीनतम डेटा 75 देशों के लिए हैं। यह देश कुल वैश्विक बिजली मांग का 93% प्रतिनिधित्व करते हैं।

एम्बरके ग्लोबल लीड डेव जोन्स ने अपनी प्रतिकृया देते हुए कहा, “अंततः आ गया है पवन और सौर का दौर। अब मौजूदा ऊर्जा प्रणाली को फिर से आकार देने वाली प्रक्रिया शुरू हो गई है। और इस दशक में उन्हें वैश्विक उत्सर्जन वृद्धि को उलटने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बिजली की गति से काम करने की आवश्यकता है

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एम्बर की इस रिपोर्ट से पता चलता है कि 50 देशों ने 2021 में पवन और सौर से अपनी बिजली के दसवें हिस्से से अधिक का उत्पादन किया, जिसमें दुनिया की सभी पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। चीन, जापान, मंगोलिया, वियतनाम, अर्जेंटीना, हंगरी और अल सल्वाडोर जैसे सात नए देशों ने 2021 में पहली बार यह मील का पत्थर पार किया। दुनिया भर में, विंड और सोलर का हिस्सा 2015, जब पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, के बाद से दोगुना हो गया है।

सबसे तेजी से परिवर्तन नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और वियतनाम में हो रहा है, जहां पिछले दो वर्षों में बिजली कीमांग का लगभग दसवां हिस्सा जीवाश्म ईंधन से पवनऔर सौर में स्विचकर चुका है। 2021 में दस देशों नेपवन और सौर से अपनी बिजली का एक चौथाई से अधिक उत्पादन किया, जिसका नेतृत्व डेनमार्क ने 52% पर किया। यह दर्शाता है कि रिन्युएबेल एनेर्जी को सफलतापूर्वक ग्रिड में एकीकृत किया जा सकता है।

  • मगर बिजली की मांग फिर से बढ़ी, CO2 और कोयले में हुई रिकॉर्ड वृद्धि

महामारी के बाद बिजली की मांग 2021 में अब तक की सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि (+1,414 TWh) तक पहुंच गई, जो दुनिया की बिजली की मांग में एक नया भारत जोड़ने के बराबर है। पवन और सौर उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि के बावजूद, उन्होंने 2021 में बिजली की मांग में वैश्विक वृद्धि का केवल 29% पूरा किया, बाकी जीवाश्म ईंधन से पूरा किया गया।
नतीजतन, 2021 में, कोयला बिजली में कम सेकम 1985 (+9%) के बाद से सबसे तेज वृद्धि देखी गई, जो 10,042 TWh के एक नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। कोयले में रिकॉर्ड वृद्धि वैश्विक गैस उत्पादन से मेल नहीं खाती, जो 2021 में केवल 1% की वृद्धि हुई। जीवाश्म ईंधन में वृद्धि ने वैश्विक बिजली क्षेत्र के CO2 उत्सर्जन को 2018 के अब तक के सर्वकालिक उच्च स्तर के भी पार धकेल दिया।

  • विंड और सोलर की विकास दर को रखना होगा बरकरार
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साल 2021 में पवन और सौर उत्पादनमें 17% की वृद्धि हुई। बिजली क्षेत्र को 1.5 डिग्री की तापमान वृद्धि के लिए ट्रैक पर लाने के लिए, पवन और सौर को 2030 तक हर साल 20% की चक्रवृद्धि विकास दर बनाए रखने की आवश्यकता है, जो कि पिछले दशक में विकास की औसत दर थी।
एम्बरके डेव जोन्स आगे कहते हैं, “स्वच्छ बिजली को अब एक बड़े पैमाने पर बनाने की जरूरत है।”
वैश्विकताप को 1.5 डिग्री से अधिक न होने देने के लिए बिजली क्षेत्र पर सबसे ज़्यादा दारोमदार है। मई 2021 में, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने 2050 तक अपनी नेट ज़ीरो रिपोर्ट प्रकाशित की, जो दर्शाती है कि बिजली क्षेत्र को 2020 में सबसे अधिक उत्सर्जक क्षेत्र से 2040 तक वैश्विक स्तर पर शुद्ध शून्य हिट करने वाला पहला क्षेत्र बनने की आवश्यकता है। एम्बर द्वारा जारी एक नयी रिपोर्ट, ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी रिव्यू 2021, में वैश्विक एनेर्जी ट्रांज़िशन में बदलाव की समीक्षा की गयी है और इलेक्ट्रिसिटी ट्रांज़िशन में साल-दर-साल बदलाव दिखाता है।
विश्लेषण से पता चलता है कि 1.5C को पहुंच के भीतर रखने के लिए पवन और सौर को 2030 तक हर साल 20% की उच्च चक्रवृद्धि विकास दर को कैसे बनाए रखना चाहिए। 2021 बस उस लक्ष्य (+17%) से कम होगया, लेकिन प्रमुख देश दिखा रहे हैं कि इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है। डेटासेट और रिपोर्ट 2000 से 2020 तक 209 देशों के लिए बिजली उत्पादन को कवर करती है, जिसमें वैश्विक बिजली की मांग का 93% का प्रतिनिधित्व करने वाले 75 देशों के लिए 2021 के नवीनतम डेटा शामिल हैं।

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