दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस की तीसरी लहर का अंदेशा लगातार बना हुआ है। अगस्त के अंत तक देश में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। हालांकि अनुमान है कि इसका असर दूसरी लहर के मुकाबले कुछ कम होगा।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) डिवीजन ऑफ एपिडिमियोलॉजी एंड कम्युनिकेबल डिजीजेज के प्रमुख डॉ. समीरन पांडा ने इसका अनुमान जताया है।
एक न्यूज चैनल से बातचीत में डॉ. पांडा ने कहा कि तीसरी लहर देशव्यापी होगी हालांकि इसका यह मतलब नहीं कि यह दूसरी लहर की तरह भयावह और तेजी से फैलने वाली होगी। डॉ. पांडा ने तीसरी लहर आने के चार कारकों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि पहला कारक पहली और दूसरी लहर में हासिल की गई इम्युनिटी का कम होना है। अगर ये नीचे जाती है तो तीसरी लहर आ सकती है।
दूसरे कारक में उन्होंने बताया कि अभी तक हासिल की गई इम्युनिटी पर नया वैरिएंट बढ़त बना सकता है। डॉ. पांडा के मुताबिक तीसरा कारक ये है कि अगर नया वैरिएंट इम्युनिटी को पार नहीं कर पाता है तो इसकी प्रकृति तेजी से फैलने वाली हो सकती है।
पांडा ने चौथा कारक राज्यों के जल्दीबाजी में प्रतिबंध हटाने को बताया जिससे कि नए मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है। यह पूछे जाने पर कि ये वेरिएंट क्या डेल्टा प्लस हो सकता है, उन्होंने कहा कि दोनों ही वेरिएंट डेल्टा और डेल्टा प्लस देश में फैले हुए हैं और उन्हें डेल्टा वेरिएंट से किसी और सार्वजनिक स्वास्थ्य के कहर की उम्मीद नहीं है।
लगातार बरती जा रही ढिलाई
कोरोना के कम मामले आने और लॉकडाउन हटने के बाद से लोगों में लापरवाही साफ नजर आ रही है। लोग भारी संख्या में बाजारों, पर्यटक स्थलों व अन्य सार्वजनिक जगहों पर जमा हो रहे हैं। मास्क का पालन भी नहीं किया जा रहा है। आईएमए ने सरकार और लोगों के ढिलाई बरतने और कोविड-19 प्रोटोकॉल का अनुपालन किए बगैर बड़ी संख्या में लोगों के जमा होने को लेकर सोमवार को चिंता जताई थी। कहा कि ये घटनाएं महामारी की तीसरी लहर का मुख्य कारण बन सकती हैं। आईएमए ने एक बयान में कहा कि पर्यटकों का आगमन, तीर्थयात्राएं, धार्मिक उत्साह जरूरी हैं लेकिन कुछ और महीने इंतजार किया जा सकता है।