तीन सप्ताह में समाधान न हुआ तो आवारा गोवंश को हांककर तहसील में बांधने को विवश होंगे ग्रामीण

खबर शेयर करें -


गोवंश संरक्षण कानून के चलते आवारा बने गोवंश की व्यवस्था शासन – प्रशासन करे की मांग पर प्रदर्शन


लालकुआं न्यूज़- गोरक्षा कानून के चलते आवारा हुए गोवंश से क्षेत्रीय जनता को जान-माल, फसलों और सड़क दुर्घटनाओं से हो रही क्षति से निजात दिलाने के लिए अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा माले के नेतृत्व में ग्रामीण जनता ने लालकुआं तहसील पर धरना प्रदर्शन कर उपजिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन तहसीलदार को देते हुए प्रशासन से तीन सप्ताह में समाधान करने की मांग की गई। ग्रामीणों ने चेतावनी दी यदि तीन सप्ताह में आवारा गोवंश की व्यवस्था न होने की स्थिति में ग्रामीण जनता को आवारा गोवंश को हांककर तहसील में बांधने पर विवश होना पड़ेगा। इस अवसर पर मांग की गई कि, गोरक्षा कानून के कारण आवारा हुए गोवंश की व्यवस्था शासन – प्रशासन करे, आवारा गोवंश से हो रहे किसानों, पशुपालकों, राहगीरों के नुकसान और सड़क दुर्घटनाओं का शासन-प्रशासन मुआवजा दे, सरकार पशुपालकों से गोवंश की खरीददारी करे, अन्यथा गोरक्षा कानून वापस ले। तहसीलदार लालकुआं ने आश्वासन दिया कि मामले पर जल्द कार्यवाही शुरू की जायेगी।

यह भी पढ़ें -  कार में आग लगने से 4 लोगो की जलकर मौत

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह नेगी ने कहा कि, गोरक्षा कानून बनने के बाद पशुपालकों के बछिया, बछड़ा, सांड और बैली गाय की बिक्री नहीं होने से अपने पशुधन को आवारा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है । सरकार द्वारा पशुपालक को पशुपालन व्यवसाय से हो रही आमदनी जिससे वह अपने परिवार का गुजर बसर चलाता था नजरअंदाज कर गोवंश संरक्षण अधिनियम 2007 बनाया गया जो आज गोवंश संरक्षण की जगह गोवंश दुर्दशा कानून बनकर रह गया है और पशुपालकों के आमदनी के साधन की जगह उनके लिए बोझ बन गया है। ऐसी स्थिति बन गई है कि गोवंश पशुपालकों के लिए ही बोझ न होकर आवारा गोवंश किसानों की फसलों, राहगीरों व आमजन के जानमाल के लिए और सड़क दुर्घटनाओं के लिए भी खतरा बन गया है।

किसान महासभा के उपाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, गोवंश संरक्षण अधिनियम से जनता को हो रहे नुकसान से निजात दिलाने के लिए गोवंश संरक्षण कानून को निरस्त करने या गोवंश की बैली, बूढ़ी,बछिया, बछड़ा, सांड की स्थितिनुसार सरकारी कीमत निर्धारित कर सरकारी खरीद करने का प्रस्ताव लाने हेतु किसान महासभा द्वारा लालकुआँ तहसील के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार व लालकुआँ विधानसभा के विधायक माननीय मोहन सिंह बिष्ट सहित अन्य विधानसभाओं के विधायकों को ज्ञापन प्रेषित किया गया था परन्तु सरकार द्वारा इस पर किसी प्रकार का संज्ञान नहीं लिया गया, जो सरकार का पशुपालक, किसान और आमजन विरोधी चरित्र को उजागर करता है।

यह भी पढ़ें -  आंदोलनकारियों को आरक्षण मामले में प्रवर समिति की बैठक शुरू, पहली मीटिंग में नहीं पहुंचे थे विपक्ष के विधायक

माले जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, आवारा गाय बैलों से खेती किसानी संकट में पड़ गई है और सड़कों पर लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं लेकिन सरकार असंवेदनशील होकर उदासीन बनी हुई है। सरकार को तत्काल इसका उपाय करना होगा अन्यथा यह परिदृश्य एक बड़ी आपदा की ओर बढ़ रहा है।

सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि, लालकुआँ, बिन्दुखत्ता क्षेत्रान्तर्गत आवारा गोवंश की अन्यत्र व्यवस्था कर क्षेत्रीय जनता को शीघ्रातिशीघ्र सुरक्षा प्रदान न की गई तो तीन सप्ताह उपरान्त आवारा गोवंश से पीड़ित जनता को क्षेत्रान्तर्गत आवारा गोवंश को तहसील मुख्यालय में बांधने को बाध्य होना पड़ेगा।

यह भी पढ़ें -  BIG BREAKING – बीजेपी उम्मीदवार की हार्ट अटैक से मौत, कल हुआ था मतदान

लालकुआं तहसील में हुए धरना प्रदर्शन में मुख्य रूप से अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह नेगी, प्रदेश उपाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी, भाकपा माले जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय, एपवा संयोजक विमला रौथाण, अखिल भारतीय किसान महासभा जिला सचिव चन्दन राम,भाकपा माले राज्य कमेटी सदस्य ललित मटियाली, बिन्दुखत्ता एरिया सचिव पुष्कर दुबड़िया, आनंद सिंह सिजवाली, आइसा नैनीताल जिला अध्यक्ष धीरज कुमार, किशन बघरी, निर्मला शाही, कमल जोशी, प्रमोद कुमार, ललित जोशी, शशि गड़िया, हरीश भंडारी, त्रिलोक राम, डी एस मेहरा, दलीप सिंह शाही, आनंद दानू, चंदन कुमार, सुरेश कुंवर, बहादुर राम, नीतू, सुनीता, शांति, भास्कर कापड़ी, राजेंद्र शाह, प्रभात पाल, बसंत जोशी, भावना, नीमा कोरंगा, देवकी, बबिता आदि शामिल रहे।

Advertisement

लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -

👉 हमारे व्हाट्सऐप ग्रुप से जुड़ें

👉 फ़ेसबुक पेज लाइक/फॉलो करें

👉 विज्ञापन के लिए संपर्क करें -

👉 +91 94109 39999