बागेश्वर जिले का शामा क्षेत्र कीवी के हब के रूप में पहचान बन चुका है. अक्टूबर के अंत तक शामा, लीती क्षेत्र का कीवी बाजार में आ जाएगा. शामा, लीती क्षेत्र का कीवी काफी सस्ता मिलता है. इस क्षेत्र में कीवी फल उत्पादन का श्रेय शामा निवासी सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य भवान सिंह कोरंगा को जाता है.
पारंपरिक खेती में कम होते मुनाफे को देखते हुए किसान अब नई फसलों की तरफ रूख कर रहे हैं. इन फसलों से किसान बढ़िया मुनाफा भी कमा रहे हैं. उत्तराखंड के बागेश्वर के शामा इलाके में रहने वाले ऐसे ही एक किसान हैं भवान सिंह कोरंगा. बागेश्वर जैसे जिले में वह कीवी की खेती से बंपर कमाई कर रहे हैं. धीरे-धीरे उनकी सालाना आमदनी अब लाखों रुपये तक पहुंच गई है. खुद की कमाई के अलावा भवान सिंह कोरंगा कीवी की खेती के जरिए कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.
बागेश्वर जिले का शामा क्षेत्र कीवी के हब के रूप में पहचान बन चुका है. अक्टूबर के अंत तक शामा, लीती क्षेत्र का कीवी बाजार में आ जाएगा. शामा, लीती क्षेत्र का कीवी काफी सस्ता मिलता है. इस क्षेत्र में कीवी फल उत्पादन का श्रेय शामा निवासी सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य भवान सिंह कोरंगा को जाता है. साल 2008 में उन्होंने कीवी की खेती में कदम रखा. आज वह जिले के प्रमुख कीवी उत्पादकों में से एक हैं. वह अन्य किसानों को भी कीवी उत्पादन का प्रशिक्षण देते हैं. आज उनके पास कीवी की करीब 300 बेल हैं. हर साल कई क्विंटल कीवी बाजार में बेचते हैं. अलग-अलग क्वालिटी के हिसाब से ये कीवी 50 से 200 रुपये किलो तक क्षेत्र में ही बिक जाता है.
भवान सिंह की देखते हुए शामा के साथ ही लीती में लोग कीवी का उत्पादन करने लगे हैं. भवान सिंह ने अपने गांव में ही फूड प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई है, जिसके जरिए वह कीवी का अलग अलग जूस और कैंडी तैयार कर बाजार में सप्लाई कर रहे हैं. इससे उन्हें महीने लाखों की कमाई कर रहे हैं.
कीवी उत्पादक भवान सिंह कोरंगा बताते हैं कि शामा में लगभग 80 अन्य लोग कीवी उत्पादन से जुड़े हुए हैं. लीती में 40 परिवार कीवी उत्पादन कर रहे हैं. उनकी नर्सरी में दस हजार कीवी के पौधे हैं जिसमे कलम चढ़ाया हुआ (ग्राफ्टेट) पौधा 275 रुपये में बिकता है. सामान्य तरीके से तैयार पौधे 225 रुपये का बिकते हैं. इस हिसाब से लाखों रुपयों की कमाई कीवी के पौधों से ही हो जाती है.