लालकुआं में खनन व्यवसाइयों का आंदोलन जारी, वाहन सरेंडर करने पहुंचे आरटीओ दफ्तर

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लालकुआं। स्टोन क्रशरों द्वारा खरीद रेट में दो रुपए की कटौती किए जाने से नाराज खनन व्यवसायियों का आंदोलन बुधवार को भी जारी रहा। इस दौरान बड़ी संख्या में वाहन स्वामी आरटीओ कार्यालय पहुंचे और अपने 1000 वाहनों को सरेंडर करने की सूची एआरटीओ सरदार गुरदेव सिंह को सौंपी। खनन व्यवसायियों का कहना है कि जब तक उन्हें उचित रेट नहीं मिलते, तब तक गौला नदी में गाड़ियां नहीं उतारेंगे।

सुबह बेरीपड़ाव में खनन व्यवसायियों की अहम बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जब तक स्टोन क्रशर संचालक खरीद रेट नहीं बढ़ाते, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। इसके बाद सभी वाहन मालिक आरटीओ कार्यालय पहुंचे और विरोध स्वरूप 1000 वाहनों के सरेंडर की सूची एआरटीओ को सौंपी। इस दौरान एआरटीओ सरदार गुरदेव सिंह ने वाहन स्वामियों को सलाह दी कि वे पहले क्रशर संचालकों से वार्ता कर कोई समाधान निकालने का प्रयास करें। यदि कोई ठोस सहमति नहीं बनती, तो विभाग वाहनों के सरेंडर के लिए अलग से काउंटर खोलेगा।

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खनन व्यवसायियों का ऐलान – ‘उचित रेट नहीं तो खनन नहीं’
गौला खनन संघर्ष समिति के अध्यक्ष रमेश जोशी ने साफ कहा कि खनन व्यवसायी एकजुट हैं और जब तक उचित रेट नहीं मिलते, तब तक गौला नदी में खनन कार्य पूरी तरह बंद रहेगा। उनका कहना है कि लगातार बढ़ती महंगाई और डीजल के बढ़ते दामों के बावजूद क्रशर संचालक रेट घटा रहे हैं, जिससे वाहन स्वामियों को भारी नुकसान हो रहा है।

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क्रशर संचालकों ने रखी अपनी बात
दूसरी ओर, स्टोन क्रशर संचालकों का कहना है कि बाजार में माल की मांग कम होने और ऊंचे रेट पर बिक्री न होने के चलते उन्हें खरीद मूल्य में कटौती करनी पड़ी है। लालकुआं स्टोन क्रशर के निदेशक अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि पूर्व में स्टोन क्रशरों ने ₹28 प्रति टन का रेट तय किया था, लेकिन प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद ₹2 की अस्थायी बढ़ोतरी की गई थी। अब बिक्री प्रभावित होने के कारण रेट को वापस ₹28 करना पड़ा है। उन्होंने वाहन स्वामियों से क्रशरों की समस्याओं को भी समझने और सहयोग करने की अपील की।

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आंदोलन के कारण खनन कार्य ठप
इस विवाद के चलते गौला नदी में खनन कार्य पूरी तरह से बंद हो गया है, जिससे वाहन मालिकों और श्रमिकों को रोज़गार का संकट झेलना पड़ रहा है। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में प्रशासन इस मुद्दे को कैसे सुलझाता है और क्या दोनों पक्ष किसी सहमति पर पहुंच पाते हैं या आंदोलन और अधिक तेज होगा।

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