एसटीएफ में नई तैनाती से क्यों बढ़ा अतीक अहमद के परिवार का खौफ ? कौन हैं अनंत देव तिवारी
प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड में नामजद बाहुबली अतीक अहमद के परिवार पर लगातार शिकंजा कसा जा रहा है। एक तरफ अतीक के बेटे असद की तलाश में एसटीएफ और पुलिस की टीमें लगी हैं तो दूसरी तरफ साबरमती जेल से बाहुबली को भी यूपी लाने की तैयारी की जा रही है। इसी बीच होली से ठीक एक दिन पहले जीआरपी में डीआईजी अनंत देव तिवारी को भी एसटीएफ में अतिरिक्त जिम्मेदारी दे दी गई है।एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहे जाने वाले अनंत देव विकास दुबे कांड के बाद चर्चा में आए थे। अनंत देव को एसटीएफ की जिम्मेदारी मिलने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। कई मंत्री विकास दुबे कांड की तरह गाड़ी पलटने की बात खुलेआम कह चुके हैं। अतीक अहमद ने भी अदालत में अपनी सुरक्षा को लेकर अर्जी लगाई है। अतीक का परिवार भी मीडिया के सामने आकर अतीक और उसके भाई अशरफ की सुरक्षा को लेकर खौफजदा है। ऐसे में कहा जा रहा है कि अनंत देव की तैनाती ने अतीक के परिवार का खौफ बढ़ा दिया है।
विकास दुबे कांड के बाद चर्चा में आए अनंद देव
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में अपनी धाक जमाने वाले अनंत देव कानपुर के विकास दुबे कांड बाद चर्चाओं में आए थे। उनकी कुछ तस्वीरे और ऑडियो वायरल होने के चलते वो विवादों मे घिर गए थे। आईपीएस अनंत देव को उत्तर प्रदेश सरकार ने नवंबर 2020 में बिकरू कांड की जांच रिपोर्ट आने के बाद निलंबित कर दिया था।माफियाओं से सीधा टकराव लेते रहे।
1987 बैच में पीपीएस अफसर अनंत देव तिवारी मूल रूप से फतेहपुर जनपद के निवासी हैं। साल 2006 में प्रमोशन मिलने के बाद वह आईपीएस बने । सर्विस के शुरूआती दिनों से ही अनन्त देव ड्यूटी के प्रति जुनूनी अफसर रहे। उनका यूपी के बड़े माफियाओं से सीधा टकराव रहा, कई बड़े केस खोलने में वह कामयाब रहे। पश्चिमेंट के भय ने कभी उनके इरादों को रोकने का काम नहीं किया। यही कारण है कि आज आईपीएस अनन्त देव मौजूदा सरकार की अपराधियों पर प्रहार करती पुलिस फोर्स में विश्वास पात्र अफसरों में शामिल हैं।
डीएसपी बनते ही खास पहचान बनाई
पीपीएस अफसर बनने के बाद उनको साल 1991 में डीएसपी इटावा के पद पर नियुक्त किया गया। यहां उन्होंने अपनी कार्यशैल से जल्द ही खास पहचान बनाई। इस दौरान राजनीतिक दृष्टि से मजबूत एक खास आदमी से आपराधिक गतिविधि के कारण पंगा हो गया। उन्होंने इस माफिया को राजनीतिक रसूख होने के बाद भी गिरफ्तार कर बन्द कर दिया।इससे राजनीतिक भूचाल मचा और अनन्त देव को सजा के तौर पर सीओ कोंच बनाकर बांदा चित्रकूट में 1993 में बीहड़ गेस्ट हाउस में कैम्प करा दिया गया, यहां उनको तेंदू पत्ता तोड़ने की ड्यूटी पर लगाया गया। यहीं से उनको पुलिस फोर्स में आने का सही मकसद मिला। चम्बल के नाम से कुख्यात इस बीहड़ में डकैतों की दहशत ने उनके भीतर रोमांच पैदा किया और वह डकैतों के नाश का इरादा लेकर जुट गये।
ददुआ और ठोकिया का खात्मा
साल 1994 में सीओ के पद पर कार्यरत रहते हुए ही अनंत देव तिवारी ने खूंखार डकैत ददुआ का सामना कर उसे पकड़ने के लिए जानकारी जुटाने के साथ साथ प्लान बनाना शुरू कर दिया था। कई बाद उनको बीहड़ क्षेत्र से हटाया गया, लेकिन किस्मत बार बार उनको उसी क्षेत्र में ले जाती रही और अन्ततः 22 जुलाई 2007 को जब एसटीएफ एसएसपी अमिताभ यश की अगुवाई में एएसपी अनंत देव पूरे दलबल के साथ बीहड़ में ददुआ के गैंग की तलाश में कांबिंग कर रहे थे तो यहां कुख्यात डकैत शिवकुमार उर्फ ददुआ के आतंक की कहानी का अंत लिखा गया।इसके बाद अनन्त देव के दल वाली एसटीएफ टीम ने अगस्त 2008 को सिलखोरी जंगल में ददुआ के शिष्य छह लाख के ईनामी डकैत और उसके शिष्य अम्बिका पटेल उर्फ ठोकिया को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। ददुआ और ठोकिया के एनकाउंटर के बाद इन्हें अपराधियों का यमराज तक कहा जाने लगा और बड़े-बड़े डकैत व अपराधियों में इनका खौफ भर गया। एनकाउंटर लिस्ट में 100 से ज्यादा बड़े अपराधियों को ढेर कर देने का रिकार्ड उनके नाम पर दर्ज हो चुका है।