आम आदमी पार्टी में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी को जनाधार के लिए एक अरसे से पसीना बहा रहे लोग हासिये पर जाते दिखाई पड़ रहे हैं।
कल पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल हल्द्वानी दौरे पर थे। उन्होंने पत्रकारवार्ता में उत्तराखंड के युवाओं के लिए लिए पार्टी की ओर से छह घोषणाएं कीं और फिर तिरंगा संकल्प यात्रा में भागीदारी की।
यात्रा में भीड़ भी खूब जुटी लेकिन इस पूरे कार्यक्रम में पार्टी के पुराने कार्यकर्ता सिर्फ अपना दायित्व निभाते ही दिखाई पड़े। जबकि मैदान में अपने समर्थकों की भीड़ से घिरे नेता कोई और ही थे। यह अलग बात है कि सड़कों पर कुछ नेताओं के फ्लैक्स दिखाई पड़े लेकिन वह रौनक स्थानीय नेताओं के चेहरों से लापता है जो केजरीवाल के प्रथम हल्द्वानी आगमन पर दिखनी चाहिए थी।पिछले कुछ दिनों से हल्द्वानी आप में कुछ खालीपन दिखाई दे रहा है। इसके पीछे का कारण क्या है यह तो यहां के नेता या पार्टी हाईकमान ही जाने लेकिन कुछ ऐसा अवश्य है जो सतह के अंदर उथल पुथल मचाए हैं।
हद की बात है कि छोटे छोटे कार्यक्रमों के अखबारों में बड़े—बड़े विज्ञापन देने वाले नेता कल अखबारों से बिल्कुल लापता थे। एक हैं जो अचानक उभर कर सामने आए और कल अखबारों में भी दिखाई पड़े। नाम है रामसरण वर्मा…इनका परिचय यह है कि वे यहां के जाने पहचाने कुमाऊं ज्वैलर्स के मालिक हैं।
पिछले कुछ दिनों से हल्द्वानी की सड़कों पर वर्मा की फ्लैक्सियों की भरमार देखने को मिल रही है। इसी के साथ आप के पुराने नेता नैपथ्य में जाते दिखाई पड़ रहे हैं। वर्मा को आप के व्यापार प्रकोष्ठ का उपाध्यक्ष बनाकर जनता के बीच उतारा गया। अब आप हाईकमान की इसके पीछे मंशा क्या है यह उसे जल्द ही साफ करना होगा वर्ना पार्टी को यहां चुनाव में नुकसान झेलना पड़ सकता है। कल जब नैनीताल रोड पर वाटिका वैक्विट हाल में केजरीवाल पत्रकारों से बातचीत करने पहुंचे तो वहां से हल्दनी का कोई नेता नहीं था।
यही वजह रही कि स्थानीय पत्रकारों को जब अव्यवस्थाओं से जूझना पड़ रह था उस वक्त उनकी मदद के लिए स्थानीय नेताओं की आवश्यकता थी। पत्रकार शुरू में पुलिस से उलझते रहे। बाद में यही गुस्सा केजरीवाल के सामने फूट गया। केजरीवाल ने भी पत्रकारवार्ता के समापन पर इस अव्यवस्था के लिए पत्रकारों से माफी मांगी और इसे पार्टी कार्यकर्ताओं की गलती बताया।
इसके बाद हल्द्वानी के रामलीला मैदान में केजरीवाल की सभा का कार्यक्रम था लेकिन भीड़ के बीच केजरीवाल ओके होटल से आगे न जा सके।जो नेता थे वे अपने कार्यकर्ताओं के बीच नारेबाजी में व्यस्त थे, इसी वजह से व्यवस्थाएं धड़ाम हो गई। निश्चित रूप से केजरीवाल यहां से अच्छे मूड में वापस नहीं लौटे होंगे।