कुमाऊं का पर्व सातूं आठूं रीति रिवाज महिलाएं बड़े धूमधाम से है मनाती

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कुमाऊं का पर्व सातूं आठूं रीति रिवाज महिलाएं बड़े धूमधाम से इसको मनाती है यह पर्व भाद्रपद के कृष्ण पक्ष के पंचमी के दिन पांच प्रकार के अनाजो(दाल) को मिलाकर एक ताबे के बर्तन में भिगोया जाता है उसके बाद सप्तमी के दिन सातूं पर्व जिसको गौरा (गमरा) के नाम से जाना जाता है गौरा को हरा घास जौं धान मक्का आदि से गवारा की मूर्ति को बनाया जाता है फिर इसका श्रृंगार करके महिलाएं गाना बजाना गीत गाकर अंदर मंदिर के पास रखकर प्राण प्रतिष्ठा करके पूजा की जाती है महिलाओं द्वारा इस दिन व्रत रखकर गौरा के गीतों को गाकर और उसका आशीर्वाद लेकर महिलाएं अपने हाथ में पीली डोरी जिसको डोर कहते हैं बांधते हैं और आठूं के दिन महेश की भी इसी तरह मूर्ति बनाकर सजा कर उसको गौरा के समीप रखकर पूजा की जाती है।

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गौरा और महेश की महिलाएं अपने सुख समृद्धि और दीर्घायु की कामना करते हुए महेश्वर की पूजा की जाती है आठूं के दिन दूर्वा गले में बांधने वाली पीली डोरी को बांधते हैं जिसको दूबज्योड़ कहते हैं। गौरा और महेश्वर के गीतों का गायन भजन कीर्तन नाच गाना उनकी पूजा की जाती इसके बाद इन मूर्तियों को मंदिर में ले जाकर रख दिया जाता है तत्पश्चात महिलाएं बिरूड़ौ को प्रसाद के रूप में सब के सिरों पर रखते हैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। गांव में महिलाएं बड़े हर्षोल्लास से इस पर्व को मनाते हैं समय के अनुसार इस पर्व में भी कई तब्दीली हो गई हैं जो आज नई पीढ़ी को इस हमारी पुरानी संस्कृति जानने की कोशिश करनी चाहिए ।

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बिरूड़ पंचमी के बारे में एक कहावत है पुराने समय में वीर भाट नाम का एक ब्राह्मण था उसकी सात बहुएं थी ब्राह्मण ने अपनी बड़ी बहू से कहा कि आज बिरूड़ पंचमी है आज के दिन पांच अनाजों को साफ करके एक तांबे के बर्तन में भिगोया जाता है बड़ी बहू अनाज को साफ करने लगी इतने में उसने एक दाना मुंह में डाल दिया ब्राह्मण ने देखा बहू ने एक दाना मुंह में डाल दिया तो ब्राह्मण ने कहा बड़ी बहू ने अनाज को झूठा कर दिया। इतने में उसने अपनी दूसरी बहू से कहा उसने भी जूठा कर दिया इस प्रकार उसके छ बहुऊ ने झूठा कर दिया। अब उसने सबसे छोटी बहू से कहा यह काम तुम करो छोटी बहू अनाज को साफ करने लगी इतने में उसका भी मन ललचाने लगा उसने अपने जीभ में गरम सरिया( ‌‌ताव) लगा दिया। तब उसने बिरूड़ भिगोए और पूजा कराई ।और उसके घर में संतान की उत्पत्ति हुई।

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