सरकार ने जोशीमठ के विस्थापितों के लिए सुरक्षित भूमि की तलाश कर ली है। सरकार ने कोटि कॉलोनी, उद्यान विभाग की भूमि, पीपलकोटी और ढाल की जमीन को सुरक्षित पाया गया है। सरकार यहीं पर विस्थापितों को बसाने की तैयारी में है। विस्थापितों के लिए यहीं पर अस्थायी आवास बनाए जाएंगे। ये अस्थायी आवास प्री फैब्रिकेटेड होंगे।
सचिव आपदा रंजीत सिन्हा ने सोमवार को देहरादून में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया है कि जोशीमठ में जमीन से निकल रहे पानी के रिसाव में कमी दर्ज की गई है। ये पानी लगातार कम हो रहा है।
वहीं जोशीमठ में 190 परिवारों को अब तक डेढ़ लाख रुपए दिए जा चुके हैं। 800 लोगों को प्रभावित इलाकों से सुरक्षित शिफ्ट किया गया है।
आपदा सचिव ने माना है कि जोशीमठ में दरारों का सिलसिला बढ़ सकता है। कई और संरचनाएं इसकी चपेट में आ सकती हैं। वहीं जेपी कॉलोनी में कई मकानों में दरारें आ गईं हैं। अब डीएम और अन्य प्रशासनिक अधिकारी जेपी कंपनी से इस संबंध में बात कर रहें हैं।
जोशीमठ में औली रोपवे का संचालन बंद कर दिया गया है। रोपवे के प्लेटफार्म के पास खेत में आई दरार को देखते हुए अब वहां एक इंजीनियर की तैनाती की गई है
सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि भारत सरकार के स्तर पर सीबीआरआई द्वारा भवनों के क्षति का आकलन हेतु क्रेक मीटर सम्बन्धित भवनों पर लगाये गये हैं। अभी तक 400 घरों का क्षति आंकलन किया जा चुका है।
वाडिया संस्थान द्वारा 03 भूकम्पीय स्टेशन लगाये जा चुके है, जिन से आंकड़े भी प्राप्त किये जा रहे हैं। एनजीआईआर द्वारा हाइड्रोलॉजिकल सर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है। सीबीआरआई, आईआईटी रूड़की, वाडिया इन्स्टीट्यूट, जीएसआई, आईआईआरएस जोशीमठ में कार्य कर रही हैं।
सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि अभी तक 849 भवनों की संख्या जिनमें दरारें दृष्टिगत हुई है। सर्वेक्षण का कार्य गतिमान है। उन्होनें जानकारी दी कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र / वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 165 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 237 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये है। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 800 है।