

दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। पहले उनके घर में नोटों का अंबार मिला इसके बाद अब उनके घर के पास कूड़े में भी जले हुए नोट बरामत हुए हैं। जब से इस सब का वीडियो सामने आया है तब से सारे देश में इस घटना को लेकर चर्चा जोरों पर है। चलिए जानते है पूरा मामला आखिर है क्या?
video link- https://youtu.be/A6TxfFda810?si=GYHbYaIxv79TBA5h
जस्टिस यशवंत वर्मा न्याय के कठघरे में
जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल 14 मार्च की रात जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली में स्थित आवास में अचानक आग लग गई। आग की खबर मिलते ही दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर पहुंची और आज बुझाने के दौरान दमकल विभाग को बड़ी मात्रा में नकदी मिली। जिसके बाद से ही जस्टिस वर्मा पर सवाल उठने शुरु हो गए कि इतना पैसा आखिर जस्टिस वर्मा के घर में आया कहां से। मामला तूल पकड़ने लगा और जल्द ही दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पूरे घटनाक्रम पर संज्ञान लेते हुए जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर वापस इलाहबाद हाईकोर्ट कर दिया गया। जहां इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकिल उनके खिलाफ प्रदर्शन करने लगे।
कूड़े में मिले अधजले नोट
दिल्ली हाई कोर्ट (delhi high court) की वेबसाइट के मुताबिक जस्टिस वर्मा 8 अगस्त 1992 को अधिवक्ता के रुप में पंजीकृत हुए थे। उन्हें 13 अक्तूबर 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। 11 अक्तूबर 2021 को जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रुप में नियुक्त हुए। कैश मिलने की खबर के कुछ ही वक्त बाद अब जस्टिस वर्मा के घर के पास कूड़े के ढेर में भी कुछ अधजले नोट मिले।
सवालों के घेरे में जस्टिस
जिसके बाद एक बार फिर से जस्टिस वर्मा सवालों के घेरे में आ गए हैं। ये जले हुए नोट जस्टिस वर्मा के नकदी बरामदगी के मामले में प्रतिक्रिया देने के कुछ घंटों बाद मिले जस्टिस वर्मा का कहना है कि जिस कमरे में नकदी मिली वो उनके घर के मुख्य हिस्से से अलग था और वहां कई लोग आ-जा सकते है।
उन्होंने आगे ये भी बताया कि जिस रात उनके घर में आग लगी थी। उस वक्त सभी घरवालों को बाहर जाने के लिए कहा गया था। जब वे वापस कमरे में आए तो वहां कोई नकदी नहीं थी। हालांकि उनका ये बयान कई सवाल खड़े करता है कि अगर उन्हें इस नकदी के बारे में कुछ नहीं पता तो ये पैसे वहां कैसे पहुंचे? साथ ही वो जले हुए नोट घर के बाहर कूड़े में कहां से आए?
जस्टिस वर्मा ने बेबुनियाद आरोपों से मुक्त करने की अपील
जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से निराधार और बेबुनियाद आरोपों से मुक्त करने की अपील की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक जज के जीवन में उनकी प्रतिष्ठा और चरित्र से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है। लिहाजा इस पूरे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए जांच को तेज कर दिया है।
अब जस्टिस वर्मा के आधिकारिक कर्मचारियों, उनके निजी सुरक्षा अधिकारियों और उनके आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों की पूरी जानकारी मांगी जा रही है। इसके अलावा, पिछले छह महीनों में उनके फोन पर हुई कॉल्स की डिटेल भी खंगाली जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ये स्पष्ट कर दिया है कि जस्टिस वर्मा अपने मोबाइल से कोई भी डेटा डिलीट नहीं कर सकते।
मामले की जांच के लिए हाई-पावर कमेटी गठित
भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए एक हाई-पावर कमेटी गठित कर दी है। जिसमें तीन वरिष्ठ जज शामिल हैं। इनमें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस अनु शिवरामन का नाम शामिल है।
1999 में सुप्रीम कोर्ट की ‘इन-हाउस’ प्रक्रिया के तहत ये तय किया गया था कि किसी भी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ शिकायत आने पर तीन जजों की कमेटी जांच करेगी। अब यही कमेटी इस पूरे मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही है।
इस्तीफा देना तय!
अगर इस जांच में जस्टिस वर्मा के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिलता तो उन्हें निर्दोष घोषित किया जाएगा। लेकिन अगर उन पर शक गहराता है, तो उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा जा सकता है। अगर उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया, तो राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की जा सकती है। अब आने वाले वक्त में पूरा देश इस मामले की अगली कड़ी का इंतजार कर रहा है