जिस अफसर को सचिव ने किया था सस्पेंड, उसे बना दिया महाप्रबंधक

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्ट अफसरों को चेतानी दी थी। साथ ही राजनीतिक दबाव बनाकर पोस्टिंग कराने वालों को भी चेताया था। सीएम की चेतावनी का असर भी नजर आया था। आईएएस अफसरों ने उनके आदेश को माना भी, लेकिन अब सरकार के मंत्री ही सीएम के आदेशों को पलीता लगा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है।
में करोड़ों की गड़बड़ी के आरोपी आरके सेठ को विभागीय मंत्री ने उत्तराखंड सहकारी चीनी मिल्स संघ में महाप्रबंधक बनाने का लिखित आदेश दिया है। उनको भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते तत्कालीन सचिव ने आरके सेठ को निलंबित कर दिया था। विभागीय मंत्री ने तो विभागीय सचिव को हटवाया और फिर नए सचिव ने आरोपी अधिकारी आरके सेठ को फिर से उत्तराखंड सहकारी चीनी मिल्स संघ महाप्रबंधक बनवा दिया।
पूर्व गन्ना सचिव चंद्रेश यादव ने आरके सेठ पर लगे आरोपों की जांच कराई थी। इस बीच इस अफसर ने विभागीय मंत्री ने संपर्क किया। मंत्री ने लिखित आदेश किया कि इस अफसर को उत्तराखंड शुगर्स में महाप्रबंधक बनाया जाए। लेकिन, सचिव ने आरोपों की गंभीरता को देखते हुए सेठ को निलंबित कर दिया। इतना ही नहीं आदेश में यह भी लिखा कि यह अफसर राजनीतिक दबाव में पोस्टिंग करवाना चाहता है। अफसर को निलंबित करने के कुछ ही दिनों बाद ही चंद्रेश कुमार यादव को गन्ना विभाग के हटा दिया गया। इसके बाद हरबंश चुघ को गन्ना सचिव बनाया गया।
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि नए सचिव ने आरके सेठ को न केवल तत्काल बहाल कर दिया। बल्कि, मंत्री की इच्छानुसार दागी अफसर को उत्तराखंड शुगर्स के महाप्रबंधक जैसे अहम पद पर तैनाती का आदेश भी जारी कर दिये। सितारगंज की बंद पड़ी चीनी मिल को चलवाने की तैयारी में बड़ा खेल हो रहा है। पहले इस मिल को चलवाने के लिए निकाले गए टेंडर में इच्छुक लोगों से 50 करोड़ रुपये की मांग की गई थी।
ये था मामला
किसान सहकारी चीनी मिल नादेही में 2016-17 और 2018-19 में वित्तीय घपलों पर तत्कालीन प्रधान प्रबंधक आरके सेठ के खिलाफ विभागीय जांच बैठाई गई। दरअसल, वित्त विभाग ने नादेही चीनी मिल में 2016-17 और 2018-19 का ऑडिट किया। ऑडिट में भारी वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ था। उस समय चीनी मिल में प्रधान प्रबंधक के पद पर आरके सेठ तैनात थे।
आरोप है कि नादेही मिल से पांच हजार क्विंटल चीनी चोरी कर बेची गई। चोरी को छिपाने के लिए चीनी के कट्टों को फाड़कर चीनी बिखेर दी गई। जबकि प्लास्टिक के कट्टों पर कुंडी नहीं लगती है। जिससे करोड़ों रुपये की गड़बड़ी हुई है। चीनी मिल के गेट पर बिना दस्तावेज दिए गाड़ियां बाहर निकाली गईं।
ये हैं आरोप
– नादेही चीनी मिल से पांच हजार क्विंटल चीनी चोरी कर बेची गई।
– चीनी मिल में क्रय किए जाने वाले सामान में फर्जी बिल लगाए गए।
– पेराई सत्र 2017-18 में चीनी मिल में 60 प्रतिशत अर्ली गन्ना होने पर रिकवरी 10.60 आई। चीनी पर्ता कम दिखाकर गड़बड़ी की गई।
– मिल समिति की एक गाड़ी एक लाख 70 हजार किलोमीटर चलाई गई। जबकि मिल में तीन गाड़ियां हैं।
– आउटसोर्स वर्करों को कागजों में ज्यादा दिखाकर कम वर्करों से काम लिया गया।
– सेठ ने फरवरी 2008 में सितारगंज चीनी मिल में सहायक अभियंता पद से त्याग पत्र दिया। एक साल तक बाहर रहने के बाद दोबारा गदरपुर चीनी मिल में तैनाती हुई। साथ ही उप मुख्य अभियंता, मुख्य अभियंता, प्रधान प्रबंधक के पद पर पदोन्नति की गई।
– 30 साल के सेवाकाल में 15 साल से अधिक समय नादेही चीनी मिल में विभिन्न पदों पर तैनात रहे।

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