उत्तराखंड -यहां लोगों ने गर्भवती महिला को डोली के सहारे 10 किलोमीटर चल सड़क तक पहुंचाया

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पिथौरागढ़ – यहां के अंतिम गांव नामिक में जहां आज भी लोग सड़क के लिए तरस रहे हैं और तो और सड़क न होने का खामियाजा भी भुगत रहे हैं। आज तक इस गांव में सड़क नहीं पहुंची। सड़क बननी शुरु हुई तो उसकी रफ्तार इतनी धीमी है कि अब लोग भी परेशान हो चुके हैं। मामला पिथौरागढ़ के नामिक गांव का है जहां ग्रामीणों ने गर्भवती महिला को आपदा में ध्वस्त पैदल रास्तों से डोली के सहारे 10 किमी पैदल चलकर बागेश्वर जिले के गोगिना गांव पहुंचाया गया। इसके बाद 35 किमी दूर वाहन से कपकोट अस्पताल ले जाया गया। खबर है कि महिला और उसका बच्चा सुरक्षित है।

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बता दें कि नामिक गांव जिले का अंतिम गांव है जहां सड़क और संचार सेवा का आज भी अभाव है। लोग परेशान हैं। सड़क के लिए लोगों का गुस्सा तेज हो रहा है। मिली जानकारी के अनुसार गांव के भोपाल सिंह टाकुली की 27 वर्षीय गर्भवती पत्नी गीता टाकुली पिछले 4 दिनों से प्रसव पीड़ा से परेशान थी।मंगलवार को तेज दर्द होने पर ग्रामीणों ने महिला को डोली के सहारे टूटे हुए रास्ते से होकर 10 किमी पैदल चलकर बागेश्वर जिले के गोगिना गांव की सड़क तक पहुंचाया। यहां से वाहन से 35 किमी की यात्रा कर महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कपकोट ले जाया गया जहां महिला का सुरक्षित प्रसव हुआ। महिला ने बेटे को जन्म दिया। मां और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं।
बता दें कि इस गांव के लोग कई सालों से सड़क की मांग कर रहे हैं। जहां निर्माण कार्य तो शुरू हुआ, लेकिन सरकार बदलने के बाद सड़क निर्माण का कार्य बेहद धीमा है। उन्होंने सड़क निर्माण का कार्य तेज गति से पूरा करने की मांग की है। ताकि फिर किसी गर्भवती औऱ बीमार को इस हाल से गुजरना ना पड़े और उसकी जिंदगी खतरे में ना आए।

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