उत्तराखंड विधानसभा में इस बार बेहद दिलचस्प नजारा मिल सकता है। संभवत राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि कोई मंत्री अपने ही जरिए की गई नियुक्तियों के रद्द होने को सही ठहराएगा।
दरअसल उत्तराखंड के संसदीय कार्यमंत्री हैं प्रेमचंद अग्रवाल। प्रेमचंद अग्रवाल पिछली सरकार में स्पीकर थे। उस दौरान उन्होंने बैकडोर से कई नियुक्तियां कीं। इन नियुक्तियों को लेकर आवाज उठी तो मौजूदा स्पीकर ऋतु खंडूरी ने इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया। नैनीताल हाईकोर्ट ने भी इन नियुक्तियों को गलत माना और स्पीकर के फैसले को सही ठहराया।
अब आगे समझिए। आमतौर पर होता ये है कि सदन में संसदीय कार्यमंत्री सरकार का एक ऐसा फेस होता है जो कैबिनेट मंत्री की अनुपस्थिती में अपनी सरकार का बचाव करता है। आमतौर पर सदन में मुख्यमंत्री कम ही जाते हैं। उनका दिन सदन में फिक्स होता है। अगर वो देर से आए या नहीं आए तो संसदीय कार्यमंत्री उनकी जगह मोर्चा संभालते हैं।
अब ये बात सरकार को भी समझ आ रही है और संगठन को भी। दिमाग लगाया जा रहा है कि किया क्या जाए जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। लेकिन एक समस्या और है। अगर सदन में संसदीय कार्यमंत्री की नहीं होगा तो सवाल फिर भी उठेंगे। सवाल उठेंगे तो दूर तक तो जाएंगे ही। अब आगे आगे देखते हैं कि होता है क्या।
अब ऐसे में होगा ये कि विपक्ष अगर विधानसभा में बैकडोर नियुक्तियों का मसला उठाएगा तो उसका सामना करने के लिए वही शख्स सामने होगा जिसने ये नियुक्तियां की थीं। यानी प्रेमचंद अग्रवाल को बतौर स्पीकर रहते हुए की गई अपनी ही नियुक्तियों को बतौर संसदीय कार्यमंत्री गलत बताना होगा और इसे निरस्त करने के फैसले के लिए विधानसभा और सरकार की सराहना करनी होगी।