पूर्व सांसद रेवती रमण तोड़ सकते हैं सपा से नाता, भाजपा में जाने की अटकलें

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भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रदेश की 80 में से 51 लोकसभा सीट से प्रत्याशियों के नाम की सूची जारी करने के बाद अब सभी निगाहें फूलपुर और इलाहाबाद लोकसभा सीट पर टिकी हुईं हैं। इन दोनों ही सीटों पर भाजपा का कब्जा है। इस बीच अब फिर से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि सपा के वरिष्ठ नेता रेवती रमण सिंह किसी भी दिन पार्टी से नाता तोड़ सकते हैं। उनके भाजपा में जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। वहीं, कुछ लोगों ने उनके कांग्रेस से संपर्क में होने की बात कही है।

गठबंधन के बाद सपा ने इलाहाबाद लोकसभा सीट कांग्रेस को दे दी गई है। इस सीट से सपा के टिकट पर रेवती रमण सिंह लगातार दो बार सांसद रह चुके हैं। बताया जा रहा है कि वह इस सीट से अपने पुत्र उज्जवल रमण सिंह को टिकट दिए जाने की वकालत कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस के पास यह सीट जाने के बाद उन्हें काफी झटका लगा। इसे लेकर पिछले दिनों ही रेवती ने अपनी नाराजगी भी जताई। उन्होंने यह भी कह दिया कि अखिलेश किसी की नहीं सुनते। बीते ढाई वर्ष से उनकी अखिलेश से बात भी नहीं हुई।
इलाहाबाद लोकसभा सीट पर 1984 के बाद से कांग्रेस चुनाव नहीं जीत सकी है। इस सीट पर समाजवादियों का वर्चस्व रहा है। रेवती के करीबियों का कहना है कि वह अब सपा से नाता तोड़ सकते हैं। इस बीच खबर यह भी आई है कि रेवती की भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात भी हो चुकी है।
हालांकि, जब रेवती से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी वह सपा में ही हैं। मेरी न कांग्रेस से बात हुई है और न ही भाजपा से। अपने लोगों से बातचीत कर आगे क्या करना है उस संंबंध में निर्णय लिया जाएगा। वहीं, उनके पुत्र उज्ज्वल रमण का कहना है कि अभी हम सपा में ही हैं। कहा कि मेरी अखिलेश यादव से बात होती रहती है।
अब फूलपुर और इलाहाबाद सीट पर टिकी निगाहें
भाजपा द्वारा प्रतापगढ़ से संगम लाल गुप्ता को एक बार फिर से टिकट दिए जाने के बाद अब इस बात के आसार कम ही हैं कि फूलपुर और प्रतापगढ़ से किसी वैश्य उम्मीदवार को टिकट मिले। फूलपुर सीट से वर्तमान में सांसद केशरी देवी पटेल हैं। ऐसे में उनकी दावेदारी तो इस सीट पर है ही, इसके अलावा विधायक प्रवीण पटेल, विक्रम सिंह पटेल, कौशलेंद्र पटेल के नाम भी इन दिनों चर्चा में हैं।
इसी तरह इलाहाबाद सीट से सांसद डाॅ. रीता बहुगुणा जोशी के अलावा विधायक हर्षवर्धन बाजपेयी का भी दावेदार के रूप में नाम लिया जा रहा है। यहां से गिरीश चंद्र त्रिपाठी, योगेश शुक्ला, रईस शुक्ला, डाॅ. एलएस ओझा, डॉ. भगवत पांडेय आदि का भी नाम सोशल मीडिया में चल रहा है।

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