राज्य विश्वविद्यालय और महाविद्यालय छात्र संघ चुनाव में छात्राओं को 50 फीसदी प्रतिनिधित्व मिलेगा। उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ.धन सिंह रावत ने कहा कि इसके लिए छात्रसंघ संविधान में बदलाव किया जाएगा। कुलपतियों को इसमें संशोधन के निर्देश दिए गए हैं जबकि छात्र संघ के दो पदों पर मेधावी छात्र-छात्राओं को नामित किया जाएगा।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा, राज्य विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में लगभग 65 प्रतिशत से अधिक बालिकाएं हैं। छात्र-संघ चुनाव में छात्राओं को प्रतिनिधित्व दिए जाने के लिए यह कदम उठाया गया है। छात्र संघ पदाधिकारियों के कुल पदों में से तीन पद एक साल बालिकाओं के लिए आरक्षित रहेंगे। जबकि तीन पद अगले साल आरक्षित रहेंगे।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा, छात्रसंघ सिर्फ राजनीति के लिए नहीं बल्कि शैक्षणिक माहौल तैयार करने का भी काम करे। इसके लिए परिसरों के मेधावी छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। विभागीय मंत्री ने बताया कि प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 65.8 फीसदी छात्राएं और 34.2 फीसदी छात्र हैं।
इनमें कुल 152387 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। जिसमें छात्राओं की संख्या 100272 और छात्रों की संख्या 52115 है। राजकीय महाविद्यालय परिसरों में कुल 97997 विद्यार्थी हैं, जिसमें 30130 छात्र व 67867 छात्राएं हैं। अशासकीय महाविद्यालयों में 34590 में 14730 छात्र व 19860 छात्राएं हैं। विश्वविद्यालय परिसरों में कुल 19800 विद्यार्थी हैं। जिसमें 7255 छात्र व 12545 छात्राएं शामिल हैं।
विभागीय मंत्री ने बताया कि सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुरूप चुनाव कराए जाएंगे। विश्वविद्यालयों के छात्रसंघ संविधान में जो भी बदलाव अपेक्षित हैं, उन्हें करने के लिए संबंधित संस्थानों के कुलपतियों को निर्देश दिए गए हैं।
छात्र संघ चुनाव में छात्राओं को 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व दिए जाने के लिए कुलपतियों को प्रस्ताव तैयार कर एक महीने के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। राज्य में जल्द ही इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। महाविद्यालयों में छात्रों के मुकाबले छात्राएं अधिक हैं।
-डाॅ.धन सिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री