हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा- आजीवन कारावास की सजा पूरी कर चुके कितने कैदियों को छोड़े जाने की दी गई अनुमति

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Haldwani/Nainital


नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि आजीवन कारावास की सजा पूरी कर चुके कितने कैदियों को छोड़े जाने की अनुमति दे दी गई है। इस जानकारी के लिए कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है। मंगलवार को राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पूर्व के आदेश पर सजा पूरी कर चुके आठ कैदियों को जेल प्रशासन ने रिहा कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
उत्तराखंड की जेलों में आजीवन कारावास की सजा पूरी कर चुके कैदियों की रिहाई न होने से जुड़ी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी और न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को यह जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। सरकार की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि कई संगीन अपराधों में लिप्त अपराधियों को रिहा नहीं किया है। कुछ अपराधी ऐसे हैं, जिनकी रिहाई की प्रक्रिया का अभी परीक्षण किया जा रहा है। मामले के अनुसार, पिछली 17 मार्च को मुख्य न्यायाधीश ने हल्द्वानी जेल और सितारगंज की संपूर्णानंद खुली जेल का निरीक्षण किया था। वहां वह उन कैदियों से भी मिलीं जिनकी सजा पूरी हो चुकी है लेकिन उन्हें रिहा नहीं किया गया।
मुख्य न्यायाधीश ने कैदियों के अधिकारों को समझते हुए प्रदेश के कारागार विभाग से ऐसे कैदियों की सूची मांगी थी, जिन्होंने आजीवन कारावास की सजा का समय पूरा कर लिया है लेकिन उन्हें अभी तक रिहा नहीं किया गया। पूरे प्रदेश की जेलों में ऐसे 167 ऐसे कैदी मिले। मुख्य न्यायाधीश ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना पाते हुए इसका स्वत: संज्ञान लिया

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