सहस्रताल में फंसे ट्रेकरों ने सुनाई अपनी आप बीती इस तरह काटे 20 घंटे

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देहरादून: सहस्रताल में फंसे आठ ट्रेकर को एसडीआरएफ की टीम सुरक्षित देहरादून लेकर पहुंची तो उनके चेहरे पर भय साफ नजर आ रहा था। इनमें से कई ट्रेकर तो ऐसे हैं, जिनका स्वास्थ्य सही है, मगर वह दहशत में हैं। उनकी आवाज तक नहीं निकल रही।

बर्फीली हवा के बीच ट्रेकर के 20 घंटे इतने खौफनाक गुजरे कि शायद ही वह जीवनभर भूल पाएंगे। ट्रेकर ने ड्राई फ्रूट खाकर जान बचाई। उन्हें याद नहीं कि ट्रेकिंग के दौरान उनके साथ आखिर हुआ क्या। बहरहाल! आठ ट्रेकर को रेस्क्यू कर एसडीआरएफ देहरादून लेकर आ गई है। ये सभी देहरादून के कोरोनेशन अस्पताल में भर्ती हैं।

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कर्नाटक के 22 ट्रेकर का दल 29 मई को हिमालयन व्यू ट्रेकिंग एजेंसी मनेरी (उत्तरकाशी) के सहयोग से सहस्रताल की ट्रेकिंग पर निकला। उनके साथ आठ खच्चर और तीन गाइड थे। दो जून की शाम अचानक बर्फीला तूफान शुरू हो गया। ट्रेकर की मानें तो बर्फीले तूफान की रफ्तार करीब 90 किमी प्रतिघंटा रही होगी। इसके बाद आंखों के सामने अंधेरा छा गया। सभी एक-दूसरे से अलग होने लगे।

अचानक ठंड इतनी बढ़ गई कि असहनीय हो गई। ट्रेकर जयप्रकाश वीएस ने बताया कि वह पूर्व में भी ट्रेकिंग के लिए उत्तराखंड आ चुके हैं। इस बार उनके साथ जो घटना हुई, उसे शायद ही वह कभी भुला पाएंगे। बताया कि सोमवार शाम उनका दल सहस्रताल के लिए आगे बढ़ रहा था कि अचानक तेज वर्षा के बाद बर्फीली हवाएं चलनी शुरू हो गईं। धीरे-धीरे तूफान आने लगा। इस कारण जो जहां था, वहीं ही रुक गया।

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मोबाइल नहीं करते काम, इसलिए नहीं कर पाए संपर्क
ट्रेकर स्मृति प्रकाश ने बताया कि बर्फीले तूफान के बीच उन्हें सामने खतरा नजर आ रहा था। जब उन्होंने इधर-उधर संपर्क करने की कोशिश की तो नेटवर्क नहीं होने से किसी को घटना के बारे में बता नहीं पाए। रात को अंधेरा होने पर जान बचाना और भी मुश्किल हो गया। किसी तरह मोबाइल की टार्च जलाकर वह एक-दूसरे से बातचीत करते रहे और दिलासा देते रहे। बुधवार सुबह जब उनके पास हेलीकाप्टर पहुंचा तो तब उन्हें लगा कि अब वह सुरक्षित हैं।

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इन ट्रेकर को लेकर देहरादून पहुंची एसडीआरएफ
जयप्रकाश वीएस, भारत वी, अनिल भट्ट, मधु किरण रेड्डी, शीना लक्ष्मी, सौम्या, शिवा ज्योति और स्मृति प्रकाश डोलस

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